गुजरात विधानसभा चुनावः तो बीजेपी के लिए जमीन बचाना होगा मुश्किल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 05:12 PM

gujarat assembly elections may be difficult for the bjp to save

क्षेत्रीय दल अपनी जीत से ज्यादा दूसरों की हार तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। अगर सारे विखंडित दल एकजुट हुए तो बीजेपी को अपने ही गढ़ में जमीन बचाने के लिए पसीना बहाना पड़ सकता है

नई दिल्लीः इस बार गुजरात के विधानसभा चुनाव कई माईनों में दिलचस्प होने जा रहे हैं। 19 साल से बीजेपी के सत्ता पर काबिज होने के बाद पिछले दो दशक में राज्य में पहली बार ऐसे राजनीतिक हालात बने हैं, जिनके जरिए कांग्रेस को अपनी वापसी की उम्मीद दिख रही है। इन सबसे इतर इन चुनावों में देखने वाली बात ये है कि बिहार के महागठबंधन की तर्ज पर बनने वाला तीसरा मोर्चा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यही थर्ड फ्रंट गुजरात के आगामी चुनावों में बीजेपी-कांग्रेस की दशा और दिशा तय करेगा, क्योंकि दोनों बड़ी पार्टियों के अलावा कई क्षत्रप (क्षेत्रीय पार्टियां) भी राज्य में चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी हैं, जो अपनी जीत से ज्यादा दूसरों की हार तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे लेकिन वर्तमान में परिदृश्य बनता दिखाई दे रहा है। उससे कांग्रेस की मुश्किले कम होने की बढ़ती ज्यादा दिखाई दे रही हैं लेकिन अगर सारे विखंडित दल एकजुट हुए तो बीजेपी को अपने ही गढ़ में जमीन बचाने के लिए पसीना बहाना पड़ सकता है।
PunjabKesariकांग्रेस की जड़ खोदेने के लिए वाघेला का तीसरा मोर्चा 
कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह करने वाले शंकर सिंह वाघेला के बारे में माना जा रहा था कि वे बीजेपी ज्वाइन करेंगे लेकिन वाघेला ने बीजेपी ज्वाइन करने के बजाए तीसरा मोर्चा बनाकर राज्य के चुनाव में उतरने का मन बनाया है। वाघेला ने इस तीसरे मोर्चे का नाम "जन विकल्प" दिया है। उन्होंने कहा कि लोग बीजेपी और कांग्रेस से ऊब गए हैं और एक विकल्प के लिए बेताब हैं। जानकारों की मानों तो, बीजेपी में उनका शामिल न होना भी रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी के विरोधी वोटर वो कांग्रेस के खेमे में जाते अब उन्हें वाघेला के रूप में एक विकल्प मिल गया है। ऐसे में इसका फायदा सीधे-सीधे बीजेपी को मिलेगा।
PunjabKesariक्षत्रप को मिले वोट, नतीजों को करते हैं प्रभावित 
गुजरात चुनाव में एनसीपी, जेडीयू, गुजरात परिवर्तन पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे दलों अलावा आप भी अपने हाथ आजमाने की तैयारी कर चुकी है। ये पार्टियां सीटें भले न जीत पाएं, मगर इन्हें मिले वोट चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं। पिछले चुनाव में गुजरात परिवर्तन पार्टी ने 3.63 फीसदी और बहुजन समाज पार्टी ने 1.25 फीसदी वोट हासिल किए थे। वहीं जेडीयू को महज 0.67 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि इस दफा आम आदमी पार्टी पहली दफा चुनावों में उतरेगी। 
PunjabKesariकांग्रेस के माथे पर बल देगी 'आप' की दस्तक 
गुजरात की जमीन पर पहली बार आम आदमी पार्टी किस्मत अजमाने उतरेगी। केजरीवाल ने पटेल आंदोलन और ऊना कांड के बाद राज्य का दौरा किया था और विशाल रैलियां आयोजित की। केजरीवाल ने राज्य में नारा दिया है कि 'गुजरात का संकल्प, आप ही खरा विकल्प'। जाहिर तौर पर केजरीवाल की पार्टी की नजर भी उन्हीं वोटों पर है, जो बीजेपी की इतनी लंबी पारी से ऊब गया है।अगर सीधा-सीधा कहें तो जो वोट कांग्रेस के खाते में जाएगा, उसे आप झटकने की पूरी कोशिश करेगी।
PunjabKesariतो बीजेपी को दोबारा सेट करना पड़ेगा गेम
आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि चाकू तरबूज पर गिरे या तरबूज चाकू पर, कटेगा तरबूज ही। कुछ इसी तरह की कहानी गुजरात राजनीति में बनती दिख रही है। राज्य में एनसीपी के दो और जेडीयू का एक विधायक हैं। सो इस बार भी विधानसभा चुनाव में एनसीपी और जेडीयू मैदान में उतरेंगी ही। दोनों के अलावा बीएसपी और शिवसेना की भी पूरी तरह तैयार है। एेसे में बीजेपी से नाराज वोटों का सीधा फायदा कांग्रेस को मिलने के बजाए बीजेपी को मिलेगा। अगर राजनीतिक पंडितों की मानें तो इसमें उलटफेर एक सूरत में संभव है कि जब वो सारे क्षेत्रीय दल अगल-अलग होने की जगह एकजुट हो जाएं। अगर एेसा संभव हुआ तो इन परिस्थतियों में बीजेपी के रणनीतिकारों को दोबारा से अपना गेम सेट करना होगा।
PunjabKesariएनसीपी का साथ कांग्रेस का हाथ करेगा मजबूत 
गुजरात में 2002 के विधनसभा चुनावों में एनसीपी को 1.71 फीसदी, 2007 में 1.65 फीसदी वोट मिले और पार्टी के 3 विधायक जीतकर आए। हालांकि 2012 विधानसभा चुनाव में पार्टी को 2 ही सीटें मिलीं। बावजूद इसके पार्टी हर बार चुनावों में ज्यादा से सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश करती है। ऐसे में अगर कांग्रसे एनसीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो पार्टी की वोट शेयरिंग बढ़ी और सीटों में भी कुछ इजाफा हो सकता है। 
PunjabKesariलोकसभा के मुताबले बीजेपी का शेयर वोट घटा 
2014 के लोकसभा चुनाव दौरान भारतीय जनता पार्टी को गुजरात में 60.11 प्रतिशत वोट मिले थे और बीजेपी ने राज्य की सारी 26 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। वहीं, कांग्रेस ने 33.45 प्रतिशत वोट हासिल किए फिर भी उसे एक सीट तक नहीं मिली लेकिन बीजेपी इस प्रदर्शन को बीजेपी स्थानीय निकाय चुनावों में दोहरा नहीं सकी। पार्टी को 2015 में स्थानीय निकाय चुनावों में 46.60 प्रतिशत वोट मिले जोकि लोकसभा के मुकाबले करीब 14 प्रतिशत कम था जबकि कांग्रेस को 43.52 प्रतिशत वोट मिले जो लोकसभा के मुकाबले करीब 10 फीसदी ज्यादा था। 
PunjabKesariअगर सीधा मुकाबला पार्टी को खड़ी होगी मुश्किल
जानकारों के अनुसार, 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पार्टी के भीतर से ही केशु भाई पटेल के रूप में चुनौती मिली थी। हालांकि उनकी गुजरात परिवर्तन पार्टी सिर्फ 2 सीटों पर ही चुनाव जीत सकी थी लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस के साथ होने की संभावना है। इसके अलावा कई सीटों पर बीजेपी को टक्कर देने वाला जनता दल (यू) एनडीए में शामिल हो गया है जबकि बसपा पूरे देश में अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। माना जा रहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी  विरोधी वोट शेयर गुजरात में एकजुट हुआ तो पार्टी इस बार भी अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए नाकों तले चने चबाने पड़ सकते हैं।

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