Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Sep, 2017 01:03 AM
जन सुरक्षा के बारे में नहीं सोचने को लेकर दिल्ली पुलिस और दमकल सेवाओं सहित अधिकारियों की खिचाई की
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कुछ मॉल्स की खुली जगहों पर कथित अवैध कारोबारी गतिविधियों से लोगों का प्रवेश और निकास बाधित होने से 1997 के उपहार हादसे जैसी स्थिति बन सकती है। बता दें, उपहार हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी। लोगों की सुरक्षा को अहमियत नहीं दिए जाने पर चिंता जाहिर करते हुए उच्च न्यायालय ने जन सुरक्षा के बारे में नहीं सोचने को लेकर दिल्ली पुलिस और दमकल सेवाओं सहित अधिकारियों की खिचाई की।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूॢत सी हरि शंकर की एक पीठ ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र में जन सुरक्षा को लेकर बहुत कम सम्मान है। कोई भी समुदाय के बारे में नहीं सोचता। आप जन सुरक्षा के बारे में नहीं सोचते। आपने एक गांव को बड़े रेस्तरांओं में तब्दील कर दिया है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘उपहार हादसे को देखिए। यह क्यों हुआ ? क्योंकि कॉरीडोर में सीटें लगा दी गई थी। आप विदेशों में जाइए और उनकी व्यवस्था देखिए।’’बहरहाल, अदालत ने यह मामला 11 अक्तूबर को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
गौरतलब है कि अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि आग लगने या भूकंप होने की स्थिति में दक्षिण दिल्ली के दो लोकप्रिय मॉल की खुली जगहों के अंदर कारोबारी गतिविधियों के चलते सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।