Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 11:22 AM
दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता के बच्चे के हक में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बलात्कार के कारण जन्मा बच्चा अपनी
नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता के बच्चे के हक में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बलात्कार के कारण जन्मा बच्चा अपनी मां को मिलने वाले मुआवजे से अलग मुआवजा पाने का हकदार है। हाईकोर्ट ने यह फैसला नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बलात्कार करने के दोषी पिता को ताउम्र जेल की सलाखों के पीछे रखने के निर्देश देते हुए सुनाया। हालांकि हाईकोर्ट ने कहा कि बाल यौन अपराध संरक्षण कानून या दिल्ली सरकार की पीड़ित मुआवजा योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
अलग मुआवजा पाने का हकदार
हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़ित को मुआवजे की राशि निचली अदालत निर्धारित 15 लाख रुपए की राशि को घटाकर साढ़े सात लाख रुपए कर दिया है। पीठ ने कहा है कि उच्च राशि दिल्ली सरकार द्वारा तय वर्ष 2011 की मुआवजा योजना के निर्धारित रकम से कहीं ज्यादा है। पीठ ने कहा कि नाबालिग अथवा बालिग महिला के बलात्कार से जन्म लेने वाली संतान निश्चित रुप से अपराधी के कृत्य की पीड़ित होती है। इसी कारण से यह बच्चा मां को मिलने वाले मुआवजे की रकम से अलग मुआवजा पाने का हकदार है।
मौत तक सलाखों के पीछे
कानून में बदलाव की आवश्यकता की बात हाईकोर्ट ने उस समय उठाई जब वह नाबालिग सौतेली बेटी के बलात्कार के दोषी की उम्रकैद के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। बलात्कार की शिकार पीड़िता ने 14 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया था। अदालत ने दोषी की दोष सिद्ध और सजा बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि दोषी अपनी मौत तक सलाखों के पीछे रहेगा। हाईकोर्ट ने कहा कि हमें सजा के मामले में किसी तरह की दया की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है।