‘भारत आलोचनाओं के प्रति काफी संवेदनशील हो गया है’

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2016 10:52 PM

india is very sensitive to criticism

हम अब एक एेसे देश में रह रहे हैं जो आलोचनाओं के प्रति काफी संवेदनशील बन गया है और जहां असहिष्णुता व्याप्त हो गई है जो दिल्ली में सत्ता के ...

नई दिल्ली : हम अब एक एेसे देश में रह रहे हैं जो आलोचनाओं के प्रति काफी संवेदनशील बन गया है और जहां असहिष्णुता व्याप्त हो गई है जो दिल्ली में सत्ता के केंद्र से सभी शहरों की गलियों तक फैल चुकी है। यह बात आज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने कही। गांधी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि ‘‘असहिष्णु सत्ता का काफी कठिनाई से विरोध किया जा सकता है लेकिन असहिष्णु समाज का विरोध करना और भी कठिन हो जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘असहिष्णु समाज के खिलाफ काम करने की तुलना में किसी शासन के खिलाफ विरोध करना आसान है। मैं पूरी जानकारी के साथ यह तथ्य रख रहा हूं कि अब हम एक एेसे देश में रह रहे हैं जहां सत्ता आलोचनाओं के प्रति काफी संवेदनशील है और जहां असहिष्णुता काफी व्याप्त दिखती है जो दिल्ली में सत्ता प्रतिष्ठानों से लेकर इसके सभी शहरों की गलियों तक फैल चुकी है।’’

गांधी ने दसवें वी एम तारकुंडे स्मारक व्यायान में कहा, ‘‘लेकिन फिर भी मैं कहता हूं कि असहिष्णु शासन का विरोध करने में काफी कठिनाई होती है लेकिन असहिष्णु समाज का विरोध करने में और भी ज्यादा कठिनाई होती है।’’ उन्होंने टैगोर के एक गाने का उदाहरण दिया ‘चित्तो जेथा भौये शून्य’ (जहां दिमाग भयरहित है)। उन्होंने कहा कि आज यह ‘चित्तो जेथा भौये पूर्ण’ है न कि ‘भौये शून्य’ (आज दिमाग भयभीत है न कि भयरहित)।

उन्होंने कहा, ‘‘बंटवारे से भारत का मानचित्र बदल गया। धु्रवीकरण से भारत का दिमाग बदल गया। हिंदू मुस्लिम दोनों पक्षों के चरमपंथी इसे बांट रहे हैं और पूरी ताकत से बांट रहे हैं। आज भारत बनाम भारत कहीं नहीं दिखता है बल्कि समान नागरिक संहिता की मांग से जुड़े मुद्दे दिखते हैं।’’ 

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