खालिस्तान के बैनर से उपजे कई सवाल

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2016 05:23 PM

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ब्रिटेन में बैसाखी पर आयोजित एक कार्यक्रम में खालिस्तान जिंदाबाद का बैनर लगाया जाना चर्चा में आ गया है। इस बैनर का इस्तेमाल किए जाने

ब्रिटेन में बैसाखी पर आयोजित एक कार्यक्रम में खालिस्तान जिंदाबाद का बैनर लगाया जाना चर्चा में आ गया है। इस बैनर का इस्तेमाल किए जाने की निंदा की गई है। उन लोगों पर कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है जिन्होंने इसे लगाया था। गौरतलब है कि यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन में खालिस्तान संगठन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। बैसाखी कार्यक्रम में बैनर लगाने वालों के बचाव में आई सिख फैडरेशन का कहना है कि वे अलग राष्ट्र का समर्थन करते हैं,लेकिन आतंकवाद का नहीं। त्योहारों पर आयोजित कार्यक्रमों में ऐसे बैनर लगाए जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

ब्रिटेन ने पंद्रह साल से प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक सिख आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फैडरेशन से प्रतिबंध हटा लिया गया है। भारत ने ब्रिटेन द्वारा की गइ इस कार्रवाई की निंदा की थी। दरअसल, यह संगठन भारत में आतंकवादी गति​विधियों में संलिप्त रहा है। यह फैसला ब्रिटेन के निचले सदन के इस निष्कर्ष के बाद लिया गया है कि वर्तमान में संगठन का आतंकवाद से संबंध स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं हैं। भारत में इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन की स्थापना 1980 में आतंकवाद से पीड़ित पंजाब में हुई थी। यह आतंकवादी हमलों, हत्या और बम विस्फोटों को अंजाम दिया करता था। मार्च 2001 में सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। इस संगठन पर कनाडा में भी 2003 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। बैसाखी के कार्यक्रम में इस बैनर लगाने का क्या यह अर्थ लगाया जाए कि ब्रिटेन में कुछ भारत विरोधी तत्व फिर सक्रिय हो गए हैं।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक एनपीएस औलख भी मानते हैं कि ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक तत्व मौजूद हैं। वे आतंकी गतिविधियों के लिए पंजाब में धन भेज रहे हैं। इस धन का इस्तेमाल आतंकवाद के प्रति युवाओं को आकर्षित करने के लिए हो रहा है। यह दावा उन्होंने खुफिया सूचनाओं के आधार पर किया। औलख कहते हैं कि धन मुहैया कराना आतंकी गतिविधियों के प्रति अधिक से अधिक युवाओं को आकर्षित करने का रास्ता है। उन्हें आतंक फैलाने के लिए मोटी राशि दी जा रही हैं। 

ब्रिटेन खुफिया एजेंसियां जानती हैं कि उनके देश में तीन दशक से ऐसे कई लोग छिपे तौर पर रहते हैं, लेकिन काम भारत के खिलाफ करते हैं। इन्हें खालिस्तान समर्थक उग्रवादी कहा जाता है। बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े ये उग्रवादी ब्रिटेन में रहकर सिख नौजवानों को भड़काने का काम कर रहे हैं। इनकी मदद करती है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई। इन खुफिया एजेंसियों के मुताबिक कि कई रेडियो और टीवी चैनलों तक में उग्रवादियों की घुसपैठ है। वहां बब्बर खालसा ने एक इंटरनेट रेडियो चैनल भी शुरू कर दिया है। इसका मकसद खालिस्तान आंदोलन के समर्थन में युवाओं को अपनी तरफ मोड़ना है। बब्बर खालसा ब्रिटेन में रह रहे सिखों से भी पैसे इकट्ठा करता है। इस पैसे को पंजाब और पाकिस्तान में अपने समर्थकों तक भेजा जाता है। ब्रिटेन में रह रहे खालिस्तान समर्थक उग्रवादी संगठन तमाम धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए पैसा जमा करते हैं। ब्रिटेन में सिख सुमदाय काफी संपन्न है। वह चंदा इकट्ठा करने का मकसद भी नहीं पूछता है।

ब्रिटेन की सरकार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की इस साजिश को समझती है। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कुछ साल पहले पाकिस्तान सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यात करे, यह बर्दाश्त नहीं होगा। भारत, अफगानिस्तान फिर दुनिया के किसी भी हिस्से में हो वह अपनी हरकतों से बाज आए। उनके इस बयान के बाद पाकिस्तान में बहुत बवाल हुआ था। पीएम मोदी के ब्रिटेन दौरे में आईएसआई की साजिश बेनकाब होने के बाद पाकिस्तान फिर संदेह के घेरे में आ गया था। यदि सिख फैडरेशन की बात पर विश्वास कर लिया जाए तो वही बताए कि बैनर लगाने वाले अलग राष्ट्र का निर्माण किस आधार पर और क्यों कर रहे हैं।
 

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