महिला को 24 साल बाद मिला न्याय, कोर्ट ने कहा Sorry

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Aug, 2017 10:49 AM

madras high court

मद्रास उच्च न्यायालय उस मां के बचाव में आया है, जो पिछले 24 वर्षों से सड़क हादसे में मरने वाले अपने बेटे के लिए मुआवजा पाने को संघर्ष कर रही है।

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय उस मां के बचाव में आया है, जो पिछले 24 वर्षों से सड़क हादसे में मरने वाले अपने बेटे के लिए मुआवजा पाने को संघर्ष कर रही है। बीमा कंपनी की आपत्ति को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एन.शेषासायी की पीठ ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा दिए गए ब्याज के साथ 3 लाख 47 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया, साथ उसे देरी से न्याय मिलने के लिए सॉरी भी कहा।

महिला के बेटे लोकेश्वरन की 18 मई 1993 को एक बस से सीधी टक्कर के बाद मौत हो गई थी। उसकी मां ने पहले मुआवजे के लिए कामगार मुआवजा अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकार का दरवाजा खटखटाया, लेकिन दावा हार गईं। चूंकि ऑटोप्सी रिपोर्ट में पीड़ित के नाम का उल्लेख नहीं है, इसलिए दावे की सत्यता संदिग्ध थी और आयुक्त ने पीड़ित महिला के खिलाफ फैसला सुनाया। जब उन्होंने एम.ए.सी.टी. का दरवाजा खटखटाया तो बीमा कंपनी ने आपत्ति जताई। उसने कहा कि महिला को मोटर दुर्घटना अधिकरण का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहिए और सिर्फ कामगार मुआवजा अधिनियम के तहत अपील दायर करनी चाहिए। 

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