Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 10:51 AM
एनडीए सरकार को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा है। बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद आंध्र प्रदेश में उसकी प्रमुख सहयोगी तेलुगु देसम (टीडीपी) ने एनडीए से बाहर निकलने के ऐलान कर दिया है। आंध्र प्रदेश विभाजन के बाद विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रही...
नई दिल्ली: एनडीए सरकार को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा है। बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद आंध्र प्रदेश में उसकी प्रमुख सहयोगी तेलुगु देसम (टीडीपी) ने एनडीए से बाहर निकलने के ऐलान कर दिया है। आंध्र प्रदेश विभाजन के बाद विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रही टीडीपी का मांग को केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं तो टीजीपी ने एनडीए से अपना गठबंधन खत्म करने का ऐलान कर दिया। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट कर दिया था कि 14 वे वित्त आयोग के मुताबिक ऐसे किसी राज्य को विशेष आर्थिक पैकेज देना संभव नहीं है। उसके बाद ही साफ था कि तेलुगु देसम के लिए अब बीजेपी के साथ रहना मुश्किल है। इससे पहले महाराष्ट्र की शिवसेना ने पहले ही कह दिया है कि वो साल 2019 में बीजेपी के साथ गंठबंधन करके लोकसभा चुनाव नहीं करेगी। उसके बाद अब टीडीपी के एनडीए से बाहर आने की घोषणा को बीजेपी के बड़ा झटका बताया जा रहा है।
आंध्र प्रदेश क्यों है खास
बीजेपी के लिए ये झटका बड़ा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीटें है। इस वक्त वहां की सियासत में सत्तारूढ़ तेलुगु देसम और विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस हैं। बीजेपी पूरी कोशिश में है कि साल 2019 के चुनाव से पहले वो दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व में किसी भी सूरत में 2019 में अपने प्रदर्शन को बेहतर कर सके। इसी लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले साल 105 दिनों का दौरा भी किया था। इन क्षेत्रों को मिलाकर 216 सीटें हैं। ऐसे में उसके तेलुगु देसम जैसे पार्टियों की बीजेपी बहुत जरूरत है। अब ऐसे में तेलुगू देसम का एनडीए से बाहर निकालना बीजेपी के लिए बड़ा झटका है।
उत्तर पूर्व में है खुल मिलाकर 25 लोकसभा सीटें
इस बार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया हुआ है जहां बीजेपी का जनाधार कम है। अप्रैल में कर्नाटक में चुनाव होने वाले है वहां कांग्रेस की सरकार है ऐसे में बीजेपी ने संकल्प लिया है कि वो कर्नाटक से कांग्रेस का सफाया करेगी। उत्तर पूर्व में खुल मिलाकर 25 लोकसभा सीटें है। मिजोरम के अलावा बाकी सारे राज्यो में एनडीए की सरकार है। पिछली बार एनडीए ने 11 सीटें थी। इस बार बीजेपी ने लक्ष्य रखा है कि वो कम से कम 20 सीटें तो जीतकर रहे। इनमें से भी अकेले आंध्र प्रदेश के पास 11 25 सीटें है।
2014 में मिली थी बड़ी जीत
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और टीडीपी दोनों ने 17 लोकसभा सीटें जीती थी। अब तेलुगु देसम गठबंधन से बाहर हो गई है। 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद कांग्रेस पर भी आरोप लगा था कि वो लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। इसी के नतीजतन कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। माना जा रहा है कि टीडीपी और बीजेपी के अलग होने के बाद, अब बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस एक साथ साठगांठ कर सकती है। लेकिन दिक्कत ये है कि जगनमोहन रेड्डी भी अलग राज्य की मांग कर रहे है। उन्होंने तो पहले ही घोषणा कर दी है कि उनके लोकसभा सदस्य अगले महीने इस मु्द्दे पर लोकसभा से इस्तीफा देंगे। अब ये एक ऐसा मुद्दा है जिसपर टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस एक साथ हैं। अब हालात के अनुसार तो लगता नहीं है की बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस एक साथ आएंगे। इन दोनों ही पार्टियों ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वो आंध्र प्रदेश की अनदेखी करती है अब ये हो सकता है कि ये आरोप बीजेपी के लिए 2019 चुनाव में रास्ते का काटा ना बन जाए।