माडल गांव में नहीं है टायलेट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Aug, 2017 02:42 PM

no toilet in  village

कठुआ के बसहोली में एक गांव ऐसा भी है जिसे माडल गांव बनाया गया है पर गांव में टायलेट नहीं है।

बसहोली: कठुआ के बसहोली में एक गांव ऐसा भी है जिसे माडल गांव बनाया गया है पर गांव में टायलेट नहीं है। अब टायलेट के अभाव में लोगों को खुले में शोच करने के लिए विवश होना पड़ता है। जहां एक तरफ देश में शौचालयों को लेकर एक क्रांति चली हुई है वहीं इस माडल गांव में सब मिट्टी में मिल रहा है। गांव का नाम है शीतलनगर। यहां के बस अड्डे पर शौचलय नहीं है। यात्री खुले में शौच करते साफ देखे जा सकते हैं।


इस क्षेत्र से कोई और नहीं बल्कि पीएमओ मंत्री जितेन्द्र सिंह सांसद हैं। उन्होंने ही करीब डेढ़ वर्ष पूर्व शीतलनगर को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी। अब गांव माडल होता तो यकीनन विकास से परिपूर्ण होगा। लोगों ने सोचा गांव में गंदगी भी नहीं होगी। अब भी गांव के युव एक टीम बनाकर हर रविवार गांव की सफाइ्र करते हैं। पर अफसोस की बात है कि गांव को साफ और स्वच्छ रखने के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है, वो सरकार ने अभी तक नहीं दिया है। लोगों को डर हे कि यात्रियों द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी से गांव में बीमारी फैल सकती है।


स्थानीय लोगों के अनुसार पांच वर्ष पर्व विधायक जदगीश राज ने एक टायलेट बनवाया था पर वहां पर न तो पानी है और न ही सफाई कर्मचारी है। टायलेट नहीं होने का सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ता है। वे खुले में भी नहीं जा पाती हैं।

 

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