Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Sep, 2017 02:40 PM
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में फूलरथ की दूसरी परिक्रमा कल शाम हुई। मां दन्तेश्वरी के छत्र को ससम्मान मावली मंदिर के समक्ष रथारूढ़ किया गया। इस अवसर पर दशहरा समिति के पदाधिकारियों के
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में फूलरथ की दूसरी परिक्रमा कल शाम हुई। मां दन्तेश्वरी के छत्र को ससम्मान मावली मंदिर के समक्ष रथारूढ़ किया गया। इस अवसर पर दशहरा समिति के पदाधिकारियों के साथ काफी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। बताया गया है कि इस वर्ष नए फूलरथ का निर्माण किया गया है। रथ निर्माण बस्तर की परंपरानुसार की जाती है। रथ निर्माण के दौरान भी अनेक विधान संपन्न किए जाते हैं।
दशहरा का रथ कुल 35 फीट उंचा और 13 फीट चौड़ा तथा 33 फीट लंबा होता है। फूलरथ में 4 फीट के चार चक्के लगते है, वहीं बड़े रथ में 8 चक्के लगाए जाते है। दो मंंजिले रथ का आधार मगरमुही लकड़ी के उपर स्थित होता है। जिसके ऊपर 5 फारा लगाया जाता है। जिसे मसका फारा कहते हैं। उसके ऊपर कैचा, आड़बंध, खंजवा और ढेकरी लगाया जाता है। इस भाग की उंचाई लगभग 13 फीट होती है। इसके ऊपर पृथ्वी फारा लगाया जाता है। जिसके तीन फीट ऊपर ढाबा बनाया जाता है। इसकी उंचाई 7 फीट होती है। रथ के सबसे ऊपरी भाग को गुड़ी कहा जाता है, जिसकी उंचाई लगभग 10 फीट होती है। जहां पर मां दन्तेश्वरी का छत्र विराजीत होता है। वहीं रथ निर्माण में लगभग एक क्विंटल लोहा लगने की बात रथ निर्माण करने वाले लोहार ने दी है।
झारउमरगांव के रथ निर्माण करने वाले दल के मुखिया बले और बेड़ाउमरगांव रथ निर्माण करने वाले दल के मुखिया दलपति ने देते हुए बताया कि रथ निर्माण के कार्य में सर्वप्रथम हरियाली आमावस्या के दिन ठुरलु खोटला की पूजा अर्चना पाट जात्रा विधान के तहत की जाती है। इसके बाद रथ के चक्कों के निर्माण के दौरान नार फोडऩी, मगरमुही, पाटा चढ़ाई जैसे विधान के साथ रथ का निर्माण कार्य पूर्ण होता है।