मिल सकता है बलात्कार पीड़ितों को समान मुआवजा

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2016 02:10 AM

similar compensation to rape victims

उच्चतम न्यायालय ने आज सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि बलात्कार और यौन शोषण पीड़ितों, विशेषकर जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं ...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि बलात्कार और यौन शोषण पीड़ितों, विशेषकर जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं, को मुआवजा देने के लिए एक समान योजना तैयार की जाए। न्यायालय ने कहा कि पीड़ितों के पुनर्वास के मामले में ‘आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता’ है।  
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्हें गोवा की योजना की तर्ज पर एेसे पीड़ितों के लिए कार्यक्रम बनाने पर विचार करना चाहिए। गोवा सरकार ने एेसे पीड़ितों को दस लाख रूपए तक मुआवजा देने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति एम वाई इकबाल और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश कानून के तहत बलात्कार पीड़ितों को मुआवजे के लिए गोवा राज्य द्वारा तैयार योजना पर विचार करते हुए शारीरिक रूप से अक्षम महिलाओं से बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में पीड़ित को मुआवजा देने के लिये एकसमान योजना तैयार करने का प्रयास करेंगे।’’  
 
पीठ ने कहा कि प्राधिकारी एेसे पीड़ित या उसके आश्रितों, जिन्हें एेसे अपराध की वजह से क्षति पहुंची है, को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357-ए के तहत पीड़ित मुआवजा योजना पर गौर करेंगे। न्यायालय ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि बलात्कार पीड़ित को इस अपराध और उनके पुनर्वास के लिए मुआवजा देने हेतु कोई एकसमान नीति नहीं अपनाई जा रही है। धारा 357-ए के तहत बलात्कार के माले में बीस हजार रूपए से लेकर दस लाख रूपए तक का मुआवजा देने की व्यवस्था पर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिये इस पर आत्म-निरीक्षण करने की जरूरत है।’’ 

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