पढ़िए, स्मृति ईरानी का मॉडल से केंद्रीय मंत्री तक का सफर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 01:45 PM

smriti irani

मोदी सरकार ने स्मृति ईरानी के कद में इजाफा करते हुए उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार दिया है।

नई दिल्‍ली: मोदी सरकार ने स्मृति ईरानी के कद में इजाफा करते हुए उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार दिया है। यानिकी अब उनके पास 2 अहम मंत्रालयाें की जिम्मेदारी हाेगी। अभी वह कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा रही है। अाईए एक नजर डालते हैं मॉडलिंग से अपना करियर शुरू करने वाली स्मृति के केंद्रीय मंत्री बनने तक के सफर पर।

'दिल्‍ली में हुआ जन्‍म'
स्मृति का जन्म 23 मार्च 1976 को दिल्ली में हुआ था और उन्होंने दिल्ली में ही पढ़ाई की। 10वीं के बाद ही स्मृति ने काम करना शुरू कर दिया था। खुद स्मृति ने एक इंटरव्‍यू में इस बात को स्‍वीकार किया है कि उन्‍होंने अपने पिता की मदद करने के लिए कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। पहले वो सौंदर्य प्रसाधनों को बेचा करती थीं। 
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'मिस इंडिया कंपीटीशन में लिया हिस्सा' 
फिर परिवार की रुढ़ीवादी परंपरा से अलग हटकर स्मृति ने 1998 में ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा, उन्होंने 1998 में मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, लेकिन फाइनल तक नहीं पहुंच पाईं। इसके बाद स्मृति ने मुंबई जाकर एक्टिंग में करियर बनाने की कोशिश की। तब उन्हें मीका के एलबम में काम करने का मौका मिला। इस एलबम के बाद स्मृति को सीरियल में छोटे रोल मिलने लगे। लेकिन कामयाबी ने तब उनके कदम चूमे, जब उन्हाेंने मशहूर टीवी सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में तुलसी का किरदार निभाया। इस सीरियल के बाद ताे वह घर-घर में छा गईं। हर महिला तुलसी जैसी बहू की कामना करने लगी। 
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'स्मृति मल्‍होत्रा से बनी स्मृति ईरानी' 
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में काम करने के दौरान तुलसी की असल जिंदगी में कई बदलाव आए। उनकी शादी जुबिन ईरानी के साथ हुई और वह स्मृति मल्‍होत्रा से स्मृति ईरानी बन गईं। 2 बच्चों की मां बनने के बाद भी स्मृति की सीरियल में बतौर तुलसी लोकप्रियता कम नहीं हुई। लेकिन जल्द ही वह टीवी जगत की दुनिया काे अलविदा कह कर राजनीति में अा गई। उन्हाेंने 2003 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और दिल्ली की चांदनी चौक संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार कपिल सिब्बल के सामने वह हार गईं। 2004 में उन्हें नई जिम्‍मेदारी दी गई और महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्हें पार्टी ने 5 बार केंद्रीय समीति के कार्यकारी सदस्य के रुप में मनोनीत किया और राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी नियुक्त किया।
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'कड़ी चुनाैतियाें का किया सामना'
2010 में स्मृति को बीजेपी महिला मोर्चा की कमान सौंपी गई, 2011 में उन्‍हें गुजरात से राज्यसभा सांसद चुना गया। 2014 में स्मृति ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें कड़ी चुनौती दी, हालांकि स्मृति ये चुनाव हार गईं। लोस चुनाव हारने के बाद भाजपा सरकार में उन्‍हें सीधे कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर मानव संसाधन जैसा अहम मंत्रालय दिया गया। लेकिन कांग्रेस ने उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे, जिसके बाद पीएम मोदी ने उन्‍हें कपड़ा मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दे दी। अब फिर से पीएम ने उन पर भराेसा जताया है और उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्‍मेदारी साैंपी है।

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