Edited By ,Updated: 05 Nov, 2015 05:56 PM
पुराने समय में किस्से, कहानियां, मुहावरे और कहावतें ऐसे ही नहीं बनाए गए थे, बल्कि यह उन तमाम अनुभवों की आंच में तपकर तैयार हुए थे
नई दिल्ली: पुराने समय में किस्से, कहानियां, मुहावरे और कहावतें ऐसे ही नहीं बनाए गए थे, बल्कि यह उन तमाम अनुभवों की आंच में तपकर तैयार हुए थे, जो लोगों के जीवन में घटित वास्तविक घटनाओं पर आधारित होते थे। इसी तरह से पुराने समय की यह कहावत 'जाको राखे साइयां मार सके न कोय' यूं ही नही मशहूर है। इसे दक्षिण सूडान में घटित एक घटना ने सच कर दिखाया है। जहां प्लेन क्रैश होने के बाद मलबे के ढेर में से एक छोटे से बच्चे को जिंदा बचाया गया।
हैरानी की बात ये है कि प्लेन में सवार कुल 42 लोगों में से 41 लोग प्लेन क्रैश होते ही मौत के मुंह में चले गए जबकि ये बच्ची मलबे के ढेर के पास रोती हुए पाई गई। चमत्कार तब देखने को मिला जब इस प्लेन के मलबे में एक नवजात जिंदा मिला और उसें खरोच तक नहीं आई। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने मलबे के ढेर से बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो वो चारों ओर बच्चे को तलाशने लगे। तभी कुछ दूरी पर उन्हें बच्चा दिखाई दिया। उसको उठाकर उन्होंने स्थानीय पुलिस को फोन किया। जिसके बाद बच्चे को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। जहां बच्ची की हालत स्थिर बताई जा रही है।