Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Feb, 2018 09:14 AM
दिल्ली में इस बात की जोरदार चर्चा हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट का एक जज सेवामुक्ति के बाद लोकसभा का चुनाव लड़ेगा। यह जज इस साल जून में सेवामुक्त हो रहा है। दूर की सोच रखने वाले यह कहते हैं कि राजनीतिक सिस्टम को साफ करके ही न्यायपालिका को बढिय़ा बनाया...
नेशनल डेस्कः दिल्ली में इस बात की जोरदार चर्चा हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट का एक जज सेवामुक्ति के बाद लोकसभा का चुनाव लड़ेगा। यह जज इस साल जून में सेवामुक्त हो रहा है। दूर की सोच रखने वाले यह कहते हैं कि राजनीतिक सिस्टम को साफ करके ही न्यायपालिका को बढिय़ा बनाया जा सकता है। सेवामुक्त जजों पर चुनाव लडऩे के लिए कोई रोक नहीं। यदि सुप्रीम कोर्ट का कोई जज जो बाद में चीफ जस्टिस बना हो और रिटायर्ड होने पर उसे राज्यसभा का सदस्य बना दिया जाए तथा एक अन्य सेवामुक्त चीफ जस्टिस को केरल का राज्यपाल बना दिया जाए तो फिर सुप्रीम कोर्ट का कोई जज रिटायर्ड होने के बाद लोकसभा का चुनाव क्यों नहीं लड़ सकता?
बताया जाता है कि उक्त जज अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के चुनावों दौरान अपने गृह राज्य से चुनाव लड़ेगा। उन्होंने अपने चुनाव लडऩे वाले लोकसभा हलके की पहचान कर ली है। उस शहर में उनके सियासत में आने संबंधी कुछ पोस्टर व कट आऊट भी लग गए हैं। एक सियासी पार्टी के राजनीतिक जनरल सचिव ने जज से बातचीत भी की है। उक्त पार्टी के जनरल सचिव की पत्नी अखबारों में इस संबंधी लगातार रिपोर्टिंग कर रही है तथा इस वाद-विवाद वाले जज के पिछोकड़ तथा भविष्य बारे लिख रही है। दिलचस्प बात यह है कि एक सीनियर केंद्रीय मंत्री ने टिप्पणी की है कि सियासतदानों को जजों से सियासत सीखनी चाहिए।