इस घर में जो रहने आया उसने गंवाई सत्ता, क्या उत्तराखंड के नए CM तोड़ पाएंगे मिथक को?

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2017 03:48 PM

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा और भाजपा के नव निर्वाचित विधायक आज अपने नेता को चुनेंगे।

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा और भाजपा के नव निर्वाचित विधायक आज अपने नेता को चुनेंगे। उत्तराखंड का सीएम कौन होगा, इस पर काफी चर्चा हो रही है और उससे भी ज्यादा चर्चा इस बात पर चल रही है कि क्या उत्तराखंड के नए सीएम मुख्यमंत्री आवास में रहने के लिए जाएंगे। दरअसल मुख्यमंत्री आवास के बारे में मिथक है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां रहने आया उसने ही अपनी सत्ता गंवाई है।

करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से बने इस सरकारी आवास को आज भी अपने मुख्यमंत्री का इंतजार है। अब सबकी नजरें इस बात पर है कि क्या नए सीएम यहां आकर रहेंगे या फिर अंधविश्वास को लेकर अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों के रास्ते पर चलेंगे? पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बात करें, तो उन्होंने बीजापुर गेस्ट हाउस को ही अपना आवास बना दिया था लेकिन फिर भी चुनावों में जीत नहीं पाए थे। मुख्यमंत्री हरीश रावत इसे अपशगुनी मानकर इसमें नहीं गए। अब देखना यह है कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री इस मिथक को तोड़ते हैं या नहीं?

मुख्यमंत्री आवास में वास्तुदोष की अफवाहों के कारण करीब सभी पूर्व मुख्यमंत्री इसमें रहने से बचते रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक संपत्ति विभाग ने इस बंगले को संवारने का काम शुरू कर दिया हैं। इस मुख्यमंत्री आवास का निर्माण नारायणदत्त तिवारी के कार्यकाल में शुरू हुआ था, लेकिन इसका कार्य भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडू़डी के पहले कार्यकाल में पूरा हुआ। खंडू़ड़ी ही सर्वप्रथम इस आवास में रहे लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें पद से हटना पड़ा था।

रमेश पोखरियाल निशंक भी मुख्यमंत्री के रूप में इस आवास में ज्यादा दिनों तक पद पर नहीं रह पाए। भुवन चंद्र खंडू़ड़ी जब सितंबर 2011 में दोबारा मुख्यमंत्री बने, तो करीब छह माह आवास में रहने के बाद उनकी सरकार चुनाव में हार गई। खुद खंडू़ड़ी सीएम होने के बाबजूद कोटद्वार से चुनाव हार गए। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और इसके मुखिया बने विजय बहुगुणा। उनको भी यही मुख्यमंत्री आवास मिला और वह भी करीब एक साल और 11 माह तक ही पद पर रह पाए। पार्टी ने ही केदारनाथ आपदा के बाद उन्हें पद से चलता कर दिया। हालांकि वह इस आवास में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री बने।

हरीश रावत भी अपनी कुर्सी सुरक्षित रखने के लिए इस मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट नहीं हुए, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपना पूरा कार्यकाल बीजापुर गेस्ट हाऊस में ही बिताया। वह कभी भी इस सरकारी आवास में नहीं गए। हालांकि वह भी 2017 में अपनी किस्मत के सितारे नहीं बदल पाए। सीएम आवास के खाली पड़े रहने की वजह से राज्य संपत्ति विभाग काफी परेशान है। बंगले को बनाने में करोड़ों खर्च हुए हैं। इसके अलावा आवास की सुरक्षा, रखरखाव और स्टाफ पर भी मोटी रकम खर्च हो रही है। साथ ही सीएम के लिए दूसरे स्थान पर आवास की व्यवस्था करने का भार अलग से है।

 

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