क्या आपने देखा है, 250 रुपए का नोट?

Edited By ,Updated: 05 Jan, 2015 05:25 PM

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दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय वैसे तो कई मामलों में विशिष्ट है लेकिन यहां रखे पुराने नोट और सिक्के अपने आप मेंं विशिष्ट हैं।

नई दिल्ली : दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय वैसे तो कई मामलों में विशिष्ट है लेकिन यहां रखे पुराने नोट और सिक्के अपने आप मेंं विशिष्ट हैं।  इनमें भी ‘ढाई सौ रुपए’ और ‘15 रुपए’ के नोट और ‘गधैया पैसा’ प्रमुख हैं। 

राष्ट्रीय संग्रहालय में सबसे पुराने माने जाने वाले बैंक ऑफ हिन्दुस्तान द्वारा जारी किया गया 250 रुपए का नोट मौजूद है। यहां बैंक ऑफ मद्रास द्वारा जारी किया गया 15 रुपए का नोट भी मौजूद है। गुप्त शासकों द्वारा जारी किए गए स्वर्ण सिक्के यहां विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

कुमारगुप्त प्रथम को आकर्षक स्वर्ण मुद्राएं जारी करने वाले शासक के रूप में जाना जाता है। अपने पूर्ववर्ती शासकों के सुंदर एवं सशक्त सिक्कों के समान कुमारगुप्त प्रथम ने भी गैंडे को मारते हुए कार्तिकेय प्रकार के सिक्के चलाए, जो इतिहास में विशेष महत्व रखते हैं। इन सिक्कों में पद्यमय संस्कृत भाषा एवं ब्रह्मी लिपी में छंदबद्ध लेख मिलते हैं। 

मध्यकालीन सिक्कों का संग्रहण

राष्ट्रीय संग्रहालय के पुरातत्ववेत्ता और प्रकाशन विभाग के प्रभारी संजीव कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए पुराने नोट भी यहां रखे गए हैं, जो बच्चों के लिए कौतुहल का विषय हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय संग्रहालय में प्राचीन काल के ठप्पेमार (आहत) सिक्कों के साथ-साथ ब्रिटिश काल के दुर्लभ सिक्कों का संकलन है।

संग्रहालय में उत्तर प्रदेश और बिहार में मिले प्रारंभिक मध्यकाल के सिक्कों का दुर्लभ संग्रह भी मौजूद है। संग्रहालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये सिक्के संभवत: राजा भोज से पहले के कुछ गुर्जर प्रतिहार शासकों द्वारा जारी किए गए थे।

राजा भोजदेव के सिक्कों में एक ओर नृत्यरत वराह का अंकन है और दूसरी ओर लेख है। धीरे-धीरे इन चौड़े सिक्कों का स्थान मोटे और छोटे सिक्कों ने ले लिया। इन्हें ‘गधैया पैसा’ भी कहा जाता था।

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