इन तिथियों का लाभ लेना न भूलें

Edited By ,Updated: 24 Feb, 2015 08:24 AM

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25 फरवरी : बुधवारी अष्टमी (सुबह 10.55 से 26 फरवरी सूर्योदय तक) 1 मार्च : रविपुष्यामृत योग

25 फरवरी : बुधवारी अष्टमी (सुबह 10.55 से 26 फरवरी सूर्योदय तक)

1 मार्च : रविपुष्यामृत योग (रात्रि 11.54 से 2 मार्च सूर्योदय तक), आमलकी एकादशी (व्रत करके आंवले के वृक्ष के पास रात्रि जागरण एवं उसकी 108 या 28 परिक्रमा करने से सब पापों से मुक्ति व सहस्र गोदान का फल।)
 
5 मार्च : होलिका दहन (सम्पूर्ण रात्रि का जागरण और जप बहुत ही फलदायी होता है। जागरण व जप करने से मंत्र की सिद्धि होती है।)
 
10 मार्च : मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से सुबह 8.58 तक)
 
15 मार्च : षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल: सूर्योदय से दोपहर 12.48 तक) इस तिथि में जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 गुणा होता है। (पद्य पुराण)
 
17 मार्च : पापमोचनी एकादशी (व्रत से पापराशि का विनाश तथा माहात्म्य पढऩे-सुनने से सहस्र गोदान का फल)
 

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