घाटी में ‘पाकिस्तानी झंडे’ शुभ संकेत नहीं

Edited By ,Updated: 28 May, 2015 01:07 AM

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सैयद शाह गिलानी, यासिन मलिक, शबीर शाह, फारूख उमर और असलम जैसे अलगाववादी नेता पाकिस्तानी ध्वज लहराकर भारतीय मुसलमानों को अपमानित कर रहे हैं। नौजवान कश्मीरी पीढ़ी को गुमराह कर रहे हैं।

(मा. मोहन लाल) सैयद शाह गिलानी, यासिन मलिक, शबीर शाह, फारूख उमर और असलम जैसे अलगाववादी नेता पाकिस्तानी ध्वज लहराकर भारतीय मुसलमानों को अपमानित कर रहे हैं। नौजवान कश्मीरी पीढ़ी को गुमराह कर रहे हैं। कश्मीरी बच्चों के इतिहास को काली स्याही से लिख रहे हैं। कश्मीरी युवा पीढ़ी बेरोजगारी की शिकार है। बच्चे अच्छी शिक्षा तलाशना चाहते हैं और ये अलगाववादी नेता पाकिस्तान के हाथों अपनी कौम को  बदनाम करवाना चाहते हैं।

कश्मीरी जनता को भले यह पता न हो कि जम्मू-कश्मीर कभी भी पाकिस्तान नहीं बन सकता पर ये नेता पाकिस्तान-पाकिस्तान चिल्ला-चिल्ला कर कश्मीरी जनता में भ्रम फैला रहे हैं। यह 21वीं सदी-प्रत्येक देश की अखंडता के नारे को बुलंद कर रही है परन्तु ये उक्त नेता भारत को विखंडित करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। मुस्लिम देशों का पैसा इनकी तिजौरियां भर रहा है। कश्मीरी जनता भली-भांति जानती है कि भारत ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान देकर जम्मू-कश्मीर की एकता-अखंडता को अक्षुण्ण बनाया है।

स्वर्गीय प्रेमनाथ डोगरा ने प्रजा मंडल के ध्वज तले इसे एक बनाए रखने का प्रण लिया। 125 करोड़ भारतीयों की हृदय स्थली है-यह जम्मू-कश्मीर। पाकिस्तानी झंडे लहराकर कश्मीर पाकिस्तान न हो जाएगा। गिलानी-शबीर शाह की जागीर नहीं जम्मू-कश्मीर, करोड़ों-करोड़ों भारतीयों के दिलों का ताज है यह कश्मीर। यदि इन्हें पाकिस्तान ही प्यारा है तो वहां चले जाएं शौक से। कौन रोकता है इन्हें? पर कश्मीर पाकिस्तान न हो सकेगा। कश्मीर समस्या का हल भारतीय संविधान के अंदर रह कर ही हो सकताहै। भले ही पाकिस्तान के झंडे हजार साल तक लहरातेजाएं।

कश्मीरी युवा वार्तालाप की मेज पर आएं। इन नेताओं के बहकावे में न आएं। भारत का प्रत्येक नागरिक इस कश्मीर के लिए अपने खून का आखिरी कतरा बहाने को तैयार है। किसी बहकावे में न रहें ये नेता। भारतीय सेना दुनिया की श्रेष्ठ सेना है। बहुतखून बहा है, इस कश्मीर के लिए, वह खून व्यर्थ न जाएगा।

कश्मीरी जनता ने झंडे लहरा-लहरा कर क्या हासिल किया? 30,000 मासूम जिंदगियां लील चुका है यह पाकिस्तानी झंडा। पाकिस्तान की आई.एस.आई. का कुछ नहीं जाएगा। जितना जी चाहे आतंकवादी भाड़े पर पाकिस्तान भेज ले। कश्मीर भारत का है, भारत का रहेगा। आतंकवादी भारतीय फौज का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। हां, अगर उन्हें मरने के लिए ही आना है, तो आते रहें। पाकिस्तान अपनी खैर मनाए। उस पर आतंकवादी देश होने का इल्जाम लग चुका है। अत: यह गिलानी-शाह और पाकिस्तानी झंडे लहराने वाले समझ लें कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। कश्मीर भारत की जान है-शान है। छोड़ो ये नारे ‘मुसलमानो जागो, काफिरो भागो।’ पीपुललीग का क्या पैगाम? फतेह-आजादी और इस्लाम।’ इस्लामिक-मुल्क तो आपस में ही लड़-मर रहे हैं। शिया-सुन्नी समुदायों में घमासान मचा है। इसलिए कश्मीरी जनता दीवारों पर लिखी इबारत पढ़ ले। गिलानी जैसे नेताओं के बहकावे में मत आए।

कश्मीरी जनता अपने नफे-नुक्सान को समझ ले। एक तरफ लेह-लद्दाख, दूसरी तरफ जम्मू का डोगरा क्षेत्र-कश्मीरी जनता श्रीनगर को पाकिस्तानी झंडे लहरा कर इन दोनों क्षेत्रों के गुस्से का पात्र क्यों बनना चाहती है? कश्मीरी जनता वास्तविकता को नजरअंदाज क्यों कर रही है कि पिछले 3 दशकों के इस आतंकी दौर ने श्रीनगर घाटी की कमर तोड़ रखी है। जेहलम दरिया ने तबाही मचा रखी है। पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान की गिद्ध दृष्टि घाटी पर लगी है।

क्या कश्मीरी जनता 15 जनवरी, 1990 की काली रात को पुन: दोहराना चाहती है? जब ‘डैथ टू इंडिया, डैथ टू काफिर’ के नारों से कश्मीरी पंडितों को घाटी से भगा दिया था? आपने स्वयं ऐसे नारे लगा कर कश्मीर घाटी का रूप विकृत कर दिया। अपनी धरोहर को बांट दिया। कश्मीर घाटी पर पंडितों का भी उतना ही अधिकार है जितना मुसलमानों का। धरती कभी बंटती है? धरती न हिन्दू की, न मुसलमान की, यह तो सब की सांझी है। मरने की बातें न करो, जीना सीखो। भारत जैसा समृद्ध, सुखी-सम्पन्न देश छोड़कर पाकिस्तान से मोह क्यों? जो भारत में रहना न सीख सका वह पाकिस्तान में तबाह क्यों होना चाहता है? 7 दशक हो गए भारत का अन्न-जल खाते, अब इसकी मिट्टी से प्यार करना सीखो। बर्बादी के लेख न लिखो।

तू भी  बदल ऐ फलक कि जमाना बदला।
मेरी बात मुफ्ती मोहम्मद सैयद और उनकी बेटी महबूबा ने समझ ली। पी.डी.पी. ने समय की नब्ज पहचान ली। भाजपा और पी.डी.पी. एक हो सरकार चलाने लगीं। कश्मीरी आवाम भी नई फिजा का आनंद लेना सीखे। सरकार चलाने का जनादेश पाकिस्तान ने नहीं दिया। जम्मू-कश्मीर की जनता ने स्वयं वोट डाल कर भारत की सार्वभौमिकता और अखंडता पर मोहर लगाई है। याद करो विधानसभा चुनाव में 72 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय देकर पी.डी.पी. और भाजपासरकार बनाई है। चाहे यह गठबंधन की सरकार स्वाभाविकनहीं तो भी लोकतंत्र का एक अनूठा उदाहरण है। इसे काम करने का मौका मिलना चाहिए। दोनों दलों ने राजनीति में थोड़ा-थोड़ा छोड़ा है तो कश्मीर घाटी की जनता भी कुछ न कुछ छोड़े। कम से कम घाटी की जनता अपनी चुनी हुई सरकार के साथ तालमेल तो पैदा करे।

पाकिस्तानी झंडे लहराने, सेना पर पत्थर बरसाने, गिलानी के विषैले भाषणों से कश्मीर घाटी भारत से अलग नहीं होगी। पाकिस्तान ने 4 बार युद्ध द्वारा भारत से कश्मीर घाटी को छीनने का प्रयास किया है, हर बार हारा है। 100 बार हारेगा। अत:  मैं कश्मीरी युवाओं से कह रहा हूं भारत को पहचानो। इस भारत की उदारता का भरपूर लाभ उठाओ। इस देश के लोकतंत्र का शृंगार बनो।

भारत के संविधान की पवित्रता पर गर्व करो। इसके तिरंगे को सलाम करो। पाकिस्तान का झंडा मरवाएगा कश्मीरी आवाम को। गुस्सा थूक कर कश्मीरी मुसलमान असलियत को पहचानें। कहीं नहीं जाएगा कश्मीर। भारत का है, भारत का ही रहेगा।

भारत की सरकार से भी निवेदन है कि वह कश्मीरी युवाओं को अलगाववादी नेताओं के चंगुल से निकाले। भारत दर्शन करवाए। भारत के प्रजातंत्र के दर्शन करवाओ। विशालता से जोड़ो। भारत की उदारता में डुबोओ इन्हें।

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