अब्दुल कलाम:एक संत वैज्ञानिक

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2015 09:58 PM

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प्रोफ़ेसर अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु के एक छोटे से तटीय शहर में अख़बार बेचने से लेकर भारत रत्न तक का लंबा सफऱ तय किया है और अब वे भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुँचे हैं।

नई दिल्ली: प्रोफ़ेसर अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु के एक छोटे से तटीय शहर में अख़बार बेचने से लेकर भारत रत्न तक का लंबा सफऱ तय किया है और अब वे भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुँचे हैं। चेन्नई से कऱीब 300 किलोमीटर दूर रामेश्वरम में 10 साल के स्कूली बच्चे अब्दुल कलाम अपने गऱीब परिवार के भरण पोषण के लिए हर सुबह अख़बार बेचा करते थे।
 
परमाणु परीक्षण-
और 56 साल बाद वही अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं, अपनी सुरक्षा ख़ुद करने के कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत हैं और भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पाने के बाद अब वे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं। अब तक अविवाहित पूरी तरह शाकाहारी प्रोफेसर कलाम को क़ुरान और गीता पर समान अधिकार है। और गीता के ही उपदेशों के अनुरूप उन्होंने हाल में कहा 'सपनों को विचारों में और उन विचारों को असलियत में बदलना चाहिए। हथियारों का आयात कर छोटा रास्ता मत अपनाइए. अपना काम ख़ुद करें। ' इस मूलमंत्र के साथ ही अब्दूल कलाम ने भारत के लिए ख़ुद ही हथियार विकसित करने के कार्यक्रम पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि अमरीका के सुपर कंप्यूटर और रुस के क्रायोजेनिक अंतरिक्ष तकनीक देने से इनकार करने के बाद भारत ने परमाणु क्षमता विकसित करने के लिए ख़ुद ही अपना रास्ता तलाश किया है। 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद उनसे एक अमरीकी पत्रकार ने पूछा कि क्या उन्होंने अमरीका में पढ़ाई की है। 
 
इस पर अब्दुल कलाम ने कहा 'मैं सौ प्रतिशत देसी हूं।' 
उन्होंने इस बात पर कड़ा एतराज़ जताया था जब अख़बारों में 60 के दशक में अमरीका में की गई उनकी चार महीने की यात्रा को प्रशिक्षण के लिए किया गया दौरा बताया गया। वे उस वक़्त वहां के विभिन्न अंतरिक्ष संस्थानों का दौरा करने गए थे। 1997 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया है। मैने अमरीका में प्रशिक्षण नहीं पाया है और मैं 100 प्रतिशत देसी हूं।
 
एपीजे अब्दुल कलाम-
वे तमिल बोलने वाले भारतीय मुसलमान हैं। लेकिन मुसलमान होने के बावजूद उनके परिवार को रामेश्वरम के मंदिर में विशेष सम्मान मिला हुआ है। बताते हैं कि एक बार जब रामेश्वरम की मूर्ति पानी में गिर गई थी तो कलाम के ही एक पूर्वज उसे पानी से निकाल कर बाहर लाए थे, इसीलिए उन्हें यह सम्मान मिला है। उन्होंने 20 साल तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन यानी इसरो में काम किया और कऱीब इतने ही साल तक रक्षा शोध और विकास संगठन यानी डीआरडीओ में भी। वे 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई। और दो साल पहले उन्हें भारत सरकार का मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार बना दिया गया।
 
मिसाइल कार्यक्रम-
अब्दुल कलाम की सबसे बड़ी सफलता इसरो में अपने अनुभव को काम में लाते हुए भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम को शुरु करना है।
 
अग्नि-दो-
इनमें आणविक क्षमता वाली 2300 किलोमीटर तक मार करने वाली मध्यम दूरी की अग्नि दो मिसाइल शामिल है। साथ ही धरती से धरती पर मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल और धरती से आकाश में मार करने वाली दो मिसाइलें- मध्यम दूरी की आकाश और छोटी दूरी की त्रिशूल और नाग शामिल हैं। तीसरी पीढ़ी के टैंक भेदी हथियार भी इसी कार्यक्रम के तहत विकसित किए गए हैं। लेकिन रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में शिखऱ पर पहुंचे अब्दुल कलाम का सबसे प्रिय शौक एकांत में वीणावादन है। और पिछले साल नवंबर में उन्होंने भारत सरकार के रक्षा सलाहकार के पद से इस्तीफ़ा दे दिया ताकि वे छोटे बच्चों और हाई स्कूल के छात्रों के वैज्ञानिक विकास के लिए काम कर सकें और देश में वैज्ञानिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकें।

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