Edited By ,Updated: 02 Aug, 2015 01:54 PM
कार, घर और व्यक्तिगत ऋण की किश्तों में कमी आने की उम्मीद लगाए लोगों को इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है
नई दिल्लीः कार, घर और व्यक्तिगत ऋण की किश्तों में कमी आने की उम्मीद लगाए लोगों को इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है क्योंकि रिजर्व बैंक के 4 अगस्त को चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों में कमी करने की संभावना नहीं है।
अधिकांश वित्तीय संस्थान और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि थोक महंगाई में नरमी जारी रहने के बावजूद इस वर्ष जून में खुदरा महंगाई में बढ़ौतरी होने तथा अब मानसून के दौरान औसत से कम बारिश होने से आगे महंगाई बढ़ने का खतरा हो सकता है। इसके मद्देनजर रिजर्व बैंक से फिलहाल ब्याज दरों में कमी की उम्मीद नहीं की जा सकती है लेकिन अगले वर्ष के प्रारंभ में वह इसमें आधी फीसदी तक की कटौती कर सकता है।
बैंक ऑफ अमरीका मेरिल लिंच ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कमजोर मानसून से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों को यथावत बनाए रखने का दबाव बना है। उसने कहा कि दलहन, तिलहन और कपास की खेती करने वाला पश्चिम और दक्षिण भारत मानसून के दौरान बारिश होने के बावजूद सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। उसने कहा कि यदि अगले दो सप्ताह में बारिश में तेजी नहीं आती है तो महंगाई बढऩे का खतरा भी बढ़ सकता है। उसने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के 6 फीसदी लक्ष्य से नीचे रहेगा और थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई के अक्तूबर तक ऋणात्मक रहने का अनुमान है।
कमजोर बारिश की वजह से रिजर्व बैंक की 4 अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत बनाए रखने की उम्मीद है और वह अगले वर्ष के प्रारंभ में इसमें आधी फीसदी की कटौती कर सकता है। हालांकि उसने उम्मीद जताई है कि गवर्नर रघुराम राजन महंगाई के लगातार नियंत्रण में बने रहने पर किसी भी समय ब्याज दरो में कटौती के विकल्प खुले रख सकते हैं।