Edited By ,Updated: 19 Feb, 2017 04:01 PM
दिवंगत राष्ट्रपति और प्रख्यात वैज्ञानिक ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने अपनी अंतिम किताब में नेताओं द्वारा कानून को तोड़ना, सत्ता का दुरुपयोग करना, अप्रासंगिक एवं पुराने कानून की मौजूदगी और हिंसा के माध्यम से असहिष्णुता के इजहार जैसी कुछ चिंताओं को जाहिर...
नई दिल्ली: दिवंगत राष्ट्रपति और प्रख्यात वैज्ञानिक ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने अपनी अंतिम किताब में नेताओं द्वारा कानून को तोड़ना, सत्ता का दुरुपयोग करना, अप्रासंगिक एवं पुराने कानून की मौजूदगी और हिंसा के माध्यम से असहिष्णुता के इजहार जैसी कुछ चिंताओं को जाहिर किया है। अपने निधन से चार महीने पहले कलाम ने मार्च 2015 में अपनी इस किताब ‘‘पाथवेज टू ग्रेटनेस’’ की पांडुलिपि तैयार कर ली थी। इस किताब मेें बेहतर मानव जीवन के लिए कई चीजों का उल्लेख किया गया है। इसका प्रकाशन ‘हार्परकॉलिन्स इंडिया’ ने किया है और यह अगले महीने से किताबघरों में उपलब्ध रहेगी। उन्होंने अपनी किताब में लिखा, ‘‘राजनीतिक नेताओं को राष्ट्र के लिए एक स्पष्ट दृष्टि और विकास की राजनीति के जरिए नागरिक समाज के लिए एक मिसाल कायम करनी चाहिए।
नेताओं को अपने देश के कानून व्यवस्था का सम्मान करने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपने राजनीतिक शक्ति का उपयोग उसे बिगाड़ने में न करें।’’ कानून के बारे में उन्होंने इसे सरल बनाने और अप्रासंगिक एवं पुराने कानूनों को एक निश्चित अवधि के साथ समाप्त कर दिए जाने पर बल दिया। उन्होंने सुझाव देते हुए लिखा, ‘‘एेसी प्रणाली होनी चाहिए कि न्याय व्यवस्था तेजी और निष्पक्षता से काम कर सके। हमारी शिक्षा व्यवस्था को औपचारिक एवं अनौपचारिक तंत्र से कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देना चाहिए, खासकर ग्रामीण समुदायों में।’’ उन्होंने यह भी याद दिलाया कि लोकतंत्र के सुचारू रूप से संचालन के लिए समाज में विचारों की एकता के लिए लोगों को काम करने की जरूरत है।
कलाम ने अपने लिखा है, ‘‘अन्य विचारों और जीवनशैली को लेकर बढ़ती असहिष्णुता और लोगों के खिलाफ कानून के विरुद्ध जाकर हिंसा के जरिए इस असहिष्णुता की अभिव्यक्ति को कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है। हम सभी को दिन-प्रतिदिन कड़ी मेहनत करनी चाहिए और संख्य तरीके से व्यवहार कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे साथ रह रहे अन्य नागरिकों के अधिकार सुरक्षित है।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘न्याय प्रदान करने की गति में तेजी लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जहां निवारक कानून, अच्छे रॉल मॉडल और युवावस्था में नैतिक शिक्षा अपराध को कम करने में मददगार हो सकती है वहीं समय से न्याय मिलने पर लोगों का शासन-व्यवस्था के प्रति रोष कम होगा।’’
इस किताब में जीवन-शैली को लेकर भी विचार प्रस्तुत किए गए हैं कि कैसे हरेक आम भारतीय का जीवन गरिमापूर्ण, उद्देश्यपूर्ण और सबसे ऊपर देवत्व में तबदील हो सकता है। उन्होंने लिखा, ‘‘सभी के लिए बेहतर मानव जीवन को संभव बनाने के लिए मैं छात्रों, शिक्षकों, किसानों, लोक सेवकों और चिकित्सीय पेशवरों के लिए अनोखे शपथ को लाया है। कलाम ने अभिवावकों से अपील की कि वे किताब पढ़ें और अपने बच्चों को इसका संदेश दे, शिक्षक अपने छात्रों के साथ इसको लेकर विचार-विमर्श करें और राजनीतिज्ञ संसद मेंं और भारत के लोगों में इसका प्रसार करें। उन्होंने अन्य लोगों के अधिकारों का सम्मान करने की अपील भी की है।