Edited By ,Updated: 26 Feb, 2021 02:53 AM
5 दिसम्बर, 2016 को ‘अन्नाद्रमुक’ सुप्रीमो और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के दो महीने बाद ही पार्टी विधायक दल की बैठक में पन्नीरसेल्वम द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और मुख्यमंत्री पद के लिए जयललिता की निकटतम शशिकला का नाम...
5 दिसम्बर, 2016 को ‘अन्नाद्रमुक’ सुप्रीमो और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के दो महीने बाद ही पार्टी विधायक दल की बैठक में पन्नीरसेल्वम द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और मुख्यमंत्री पद के लिए जयललिता की निकटतम शशिकला का नाम प्रस्तावित करने के बाद उसे विधायक दल की नेता चुन लिया गया।
इस प्रकार शशिकला के राज्य की मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा था परंतु उन्हीं दिनों उसके विरुद्ध चल रहे अवैध सम्पत्ति के मामले में अदालत द्वारा सुनाए जाने वाले फैसले में उसे कैद की सजा मिलने की प्रबल संभावना के दृष्टिगत फैसला आने तक मुख्यमंत्री के रूप में उसका शपथ ग्रहण स्थगित करने का अदालत द्वारा आदेश जारी हो जाने केकारण ऐसा न हो सका।
7 फरवरी, 2017 को मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने शशिकला के विरुद्ध बगावत करके उसे अन्नाद्रमुक से निकाल दिया। इसके बाद 14 फरवरी को सुप्रीमकोर्ट द्वारा सुनाई गई 4 साल कैद की सजा भुगतने के लिए शशिकला जेल चली गई और उसके भतीजे दिनाकरन ने अन्नाद्रमुक के सत्तारूढ़ धड़े का मुकाबला करने के लिए ‘अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम’ (ए.एम.एम.के.) का गठन कर लिया। बहरहाल सजा पूरी करके 9 फरवरी, 2021 को चेन्नई पहुंचने से पहले ही शशिकला ने यह घोषणा करके अपने राजनीतिक इरादे स्पष्टï कर दिए कि उसका उद्देश्य ‘सांझे शत्रु’ द्रमुक और कांग्रेस को हराना है।
तमिलनाडु की राजनीति में जोर-शोर से सक्रिय होने की अपनी रणनीति के अंतर्गत ही शशिकला ने 24 फरवरी, 2021 को जयललिता की 73वीं जयंती पर अन्नाद्रमुक नेताओं के साथ ‘सुलह’ का संकेत देते हुए जयललिता के ‘सच्चे अनुयायियों’ को तमिलनाडु के आने वाले चुनावों में द्रमुक और कांग्रेस के गठबंधन का मुकाबला करने के लिए एकजुट होने की अपील की है। बिना किसी का नाम लिए शशिकला ने कहा, ‘‘अगले 100 वर्षों के लिए उनकी (जयललिता) सरकार के शासन को सुनिश्चित करने के लिए जयललिता के समर्थकों को एकजुट होना चाहिए। सभी भारी बहुमत से ‘अम्मा सरकार’ की सफलता सुनिश्चित करें।’’
पूरे भाषण में शशिकला ने राज्य की अन्नाद्रमुक सरकार को ‘अम्मा सरकार’ कह कर संबोधित किया। उसने पार्टी की सफलता के लिए सबको मधुमक्खियों जैसी लगन से एकजुट होकर काम करने को कहा और विश्वास व्यक्त किया कि ‘‘स्व. जयललिता के निष्ठावान अनुयायी पार्टी में एकता के मेरे प्रयासों का अनुकूल जवाब देंगे और मैं उन्हें अपना पूरा समर्थन दूंगी।’’
उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां द्रमुक तथा कांग्रेस राज्य में अन्नाद्रमुक और भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए प्रयत्नशील हैं तो दूसरी ओर द्रमुक और कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने के लिए भाजपा के नेता चाहते हैं कि उनकी पार्टी शशिकला व अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर तमिलनाडु में चुनाव लड़े। ऐसे में विधानसभा चुनावों को देखते हुए सबकी नजर शशिकला के अगले कदम पर टिकी हुई है जो जेल से वापसी के बाद तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की कमान एक बार फिर अपने हाथ में लेने के लिए प्रयत्नशील है।
शशिकला की उक्त ‘पेशकश’ को रद्द करते हुए अन्नाद्रमुक सरकार में मंत्री डी. जयकुमार ने कहा, ‘‘शशिकला का यह निमंत्रण अन्नाद्रमुक के सत्तारूढ़ धड़े के लिए न होकर केवल उसके भतीजेे दिनाकरन द्वारा गठित ‘अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम’ (ए.एम.एम.के.) के वर्करों के लिए है। हम शशिकला और उसके रिश्तेदारों को अपने गुट में शामिल न करने के स्टैंड पर कायम हैं।’’आज जबकि दक्षिण भारत में अपने पैर जमाने के लिए भाजपा का नेतृत्व एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है और उसने अन्नाद्रमुक से गठजोड़ के प्रयास भी शुरू कर रखे हैं, ऐसे में राज्य में द्रमुक और कांग्रेस के गठबंधन को सशक्त चुनौती देने के लिए अन्नाद्रमुक को जयललिता के दौर की भांति संगठित होना चाहिए।
तिकोना मुकाबला होने की बजाय एक ओर संगठित अन्नाद्रमुक और भाजपा तथा दूसरी ओर द्रमुक और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की स्थिति में एक धड़ा विजयी बन कर तथा दूसरा धड़ा सशक्त विपक्ष के रूप में उभर कर राज्य के शासन में अधिक प्रभावशाली ढंग से अपनी भूमिका निभा सकेगा जिससे राज्य का भला ही होगा।—विजय कुमार