दुनिया भर के पशुओं का संहारक बना चीन

Edited By ,Updated: 26 Mar, 2019 04:32 AM

china creator of animals from all over the world

कुछ वर्षों के अंतराल पर चीनी लोग एक पशु को निशाना बनाते हैं और यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उसके अंगों से मुंहासे से लेकर कैंसर तक सब कुछ ठीक हो जाएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पशु कहां है, यह टोटोबा हो सकता है, जोकि मैक्सिको में केवल एक झील में...

कुछ वर्षों के अंतराल पर चीनी लोग एक पशु को निशाना बनाते हैं और यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उसके अंगों से मुंहासे से लेकर कैंसर तक सब कुछ ठीक हो जाएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पशु कहां है, यह टोटोबा हो सकता है, जोकि मैक्सिको में केवल एक झील में पाई जाने वाली मछली है जो लगभग समाप्त हो चुकी है क्योंकि चीनियों को उसके तैरने वाले ब्लैडर चाहिए।

यह किसी गैंडे की नाक का बाल हो सकता है (इस वर्ष गैंडे की एक और प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो गई है और एक अन्य के कुछ सौ ही बचे हैं), भारतीय भालू का पैनक्रियास, पैंगोलिन, जिसके कांटों का उपयोग चीनी लोगों द्वारा ‘अत्यधिक घबराहट और बच्चों को जोर-जोर से रोने से रोकने, महिलाओं में से शैतान तथा पिशाच को निकालने, मलेरिया बुखार और बहरेपन’ के इलाज के लिए किया जाता है। चीनियों ने भारत सहित दर्जनों देशों में कई पूरी प्रजातियों को समाप्त कर दिया है। भारत के बाघ और शार्क का शिकार उनके अंगों के लिए चीन के लालच के कारण हुआ है।

अफ्रीका के हाथी लगभग समाप्त हो गए हैं और आस्ट्रेलिया के लाखों मूल पक्षियों को पिंजरे में रखने की चीनी सनक के कारण खो दिया है। सूखे ऐबेलोन, एक शानो-शौकत वाला भोजन जो चीन में आधा किलो 90 डॉलर से अधिक पर बिकता है, दक्षिण अफ्रीका में प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए की एक आपराधिक अर्थव्यवस्था का केन्द्र बनाता है जिसके स्पष्ट संबंध धन की लांड्रिंग तथा नशीली दवाओं के व्यापार के साथ पाए गए हैं। उनके अपने देश में लगभग कोई पशु नहीं बचा है और उनके लालची, परवाह न करने वाले हाथ पर्यावरण के प्रति सबसे जागरूक राष्ट्रों से पशुओं को खींच निकालते हैं।

अब गधे की बारी है। गधे की खाल की जिलाटिन, जिसे गधे की त्वचा को भिगो और पका कर प्राप्त किया जाता है, का ‘पुरानी’ चीनी दवा में एक नए घटक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसे इजियाओ कहा जाता है। जिलाटिन को 3-4 इंच के आयताकार या चौकोर ब्लॉक में बेचा जाता है। यह सख्त और आसानी से टूटने वाला, भूरा और चमकदार, हल्का-सा पारदर्शी और थोड़ा मीठा होता है - सूखे गोंद जैसा।

यह रक्त को प्रचुर करने वाला माना जाता है (इसका मतलब कुछ भी हो सकता है), हड्डियों को मजबूत करता है तथा चक्कर आने, एनीमिया, घबराहट, अनिद्रा, कैंसर को ठीक करता है, गर्भपात रोकने, रक्तस्राव रोकने में काम आता है, सूखी खांसी का उपचार करता है, यकृत,फेफड़ों और गुर्दे की सहायता करता है, थकान, पुरानी दस्त, भय, जुनून और अत्यधिक ङ्क्षचता को दूर करने में मदद करता है। चीनी नट और बीजों के साथ मिश्रित एक स्नेक बार के रूप में गधे के गोंद को भी खाते हैं। इसे गु युआन गाओ कहा जाता है। इजियाओ से शराब बनाई जाती है। क्रीम में मिला कर इसका उपयोग पैर के अल्सर को ठीक करने, बुढ़ापा रोकने, गुलाबी गाल और चमकदार त्वचा के लिए किया जाता है।

फ्रांसीसी जेसुइट डोमिनिक परेन द्वारा 1723 में दिए गए एक विवरण के अनुसार इजियाओ को हाल ही में मारे गए अच्छी तरह से पोषित काले गधे की त्वचा से सम्राटों के दरबार के लिए बनाया जाता था। चूंकि काले गधे आपूर्ति में कम थे, इसलिए बड़ी संख्या में ‘नकली’ इजियाओ को भी बनाया जाता था, जिसके लिए खच्चरों, घोड़ों, ऊंटों, सूअरों और यहां तक कि पुराने जूते के चमड़े का उपयोग होता था। चूंकि इसके द्वारा किया जाने वाला उपचार भी उतना ही अस्पष्ट था, इसलिए मुझे यकीन है कि यह कारगर सिद्ध होता होगा।

चीनी दवाओं में पशु अंग
इजियाओ जिलाटिन का सबसे पुराना ज्ञात रिकॉर्ड प्राचीन चीनी चिकित्सा दस्तावेज शिन नोंग के मटेरिया मेडिका नामक दस्तावेज में मिलता है जो किन (221 ईसा पूर्व-206 ईसा पूर्व) और हान (206 ईसा पूर्व-220 ईस्वी) राजवंशों के दौरान उपयोग किया गया था। इस दस्तावेज में इजियाओ को किसी भी पशु की त्वचा से बनाया जाता है। तथापि लोक गणराज्य चीन के फार्माकोपिया (1990, 1995 और 2000 के संस्करण) गधे की खाल से बनाए गए जिलाटिन को ही केवल प्रमाणित इजियाओ उत्पाद के रूप में मानते हैं और व्यापारियों ने इसे पकड़ लिया है। 1990 के दशक में इजियाओ को एक उपभोक्ता वस्तु और सौंदर्य उत्पाद के रूप में फिर से लाया गया था, जिसके कारण बिक्री और गधे की खाल की मांग काफी बढ़ गई थी।

चीन में लाखों गधे तुरंत मारे गए थे। उनकी आबादी काफी तेजी से कम हुई। गधे की त्वचा दुर्लभ और महंगी हो गई-प्रति किलो के लिए 300 पौंड तक। देश के बाहर से पशुओं की खालों के आयात पर प्रतिबंध भी था। तो पहले विनिर्माताओं ने चीनी सरकार से प्रतिबंध हटवाया और फिर वे मंगोलिया, अफगानिस्तान, अफ्रीका और दक्षिण अमरीका से शुरू होकर पूरी दुनिया में शिकार करने लगे।

10 वर्षों में गधे की कीमतें दुनिया भर में तेजी से बढऩे लगीं। अफ्रीकी देशों ने पाया कि उनके यहां कोई गधा नहीं बचा था। युगांडा, तंजानिया, बोत्सवाना, नाइजर, बुर्किना फासो, माली और सेनेगल ने चीन को गधे के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्या इससे गधे को मारा जाना बंद हो गया है? जी, नहीं। गधे की खाल काले बाजार में एक अत्यधिक मांग वाली वस्तु बन गई है और वन्यजीव तस्कर सक्रिय हो गए हैं। चीनी एजैंट गांव-गांव जाते हैं, रात में जानवरों को चुराते हैं और वहीं उनकी खाल को उतार लेते हैं। नवंबर 2017 में प्रत्यक्षदर्शी फुटेज गधे के बच्चे को हथौड़े से मार कर या गले में रस्सी डाल कर मारते हुए दिखाते हैं।

क्यों घट रही गधों की संख्या
क्या भारत इस अवैध शिकार से बच निकला है? आखिरी बार आपने गधे को कब देखा था? पिछली गिनती में हमारे गधों की संख्या में 40 प्रतिशत की कमी आई थी - पिछले 2 वर्षों में ही 3 मिलियन से अधिक का संहार किया गया है। वास्तव में बाघ की खाल और अंगों की आपूॢत करने वाले वन्यजीव माफिया अब गधों के व्यापार में आ गए हैं। चीन में इजियाओ की बिक्री 2008 में 6.4 बिलियन युआन से बढ़ कर 2016 में  342.2 बिलियन युआन हो गई। चीन में गधे की आबादी 1990 में 11 मिलियन से कम होकर आज 1 मिलियन रह गई है। हर साल चीन में कम-से-कम 2-3 मिलियन गधों की खालें लाई जाती हैं और उनकी मांग 10 मिलियन खालों की है।

गधों की समाप्ति के साथ अफ्रीका और दक्षिण अमरीका के कई ग्रामीण समुदायों ने ऐसे एक उत्पाद के लिए अपनी आजीविका खो दी है जिसकी किसी को आवश्यकता नहीं है। कुछ देशों में गधे की कीमत तेजी से बढ़ी है जिससे उन्होंने इसे उन लोगों के लिए अनावश्यक बना दिया है जो उनका बाजार से सामान लाने, खेती करने और पानी लाने के लिए उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए बुर्किना फासो में एक गधे की कीमत 2014 में 60 पौंड से बढ़कर 2016 में 108 पौंड हो गई। नाइजर में कीमत 34 डॉलर से बढ़कर 145 डॉलर हो गई। कीनिया में कीमतें और भी अधिक हैं।

चीनी प्रति खाल 48 डॉलर का भुगतान करते हैं जो सभी कानूनों को तोडऩे के लिए इसे बहुत ही आकर्षक बना देता है। दक्षिण अफ्रीका एक वर्ष में अधिकतम 7300 गधे की खाल के निर्यात की अनुमति देता है। फिर भी जब पुलिस ने केवल एक फर्म की जांच की तो उन्होंने पाया कि उन्होंने एक वर्ष से भी कम समय में 15,000  खालों का निर्यात किया है। नाइजीरिया, चैड और कैमरून में फर्म खुले तौर पर गधे की खाल का विज्ञापन कर रही है- साथ ही साथ पैंगोलिन का भी, जिनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध है। चीनी एक ही फर्म से दोनों खरीदते हैं।

पाकिस्तान में बूचडख़ाने खोलने के प्रयास
पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया में गधों के बूचडख़ानों को शुरू करने के लिए चीनियों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। दस साल पहले एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमरीका में लगभग 44 मिलियन गधे थे। अब से दस वर्ष में वे एक लाख से भी कम हो जाएंगे। आज तक जिन देशों ने अपने गधों की गिनती की है, वे यह सूचित करते हैं : बोत्सवाना में 70 प्रतिशत कमी, किॢगस्तान और भारत  में 40 प्रतिशत कमी, कोलंबिया और ब्राजील में 15 प्रतिशत की कमी आई है। चीन के लोगों को इस संहार को चलाने की अनुमति क्यों दी गई है?-मेनका गांधी

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