‘आत्मनिर्भर भारत विजन को साकार करने में अपना योगदान दें’

Edited By ,Updated: 08 Mar, 2021 02:59 AM

contribute to the realization of a self reliant india vision

किसी भी देश की तरक्की वहां के युवाओं, देश के शीर्ष नेतृत्व व अवसरों को पहचाने की क्षमता पर निर्भर करती है। इन सभी पैमानों पर हम सौभाग्यशाली हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी, मोदी जी के रूप में प्रभावशाली नेतृत्व व अवसरों

किसी भी देश की तरक्की वहां के युवाओं, देश के शीर्ष नेतृत्व व अवसरों को पहचाने की क्षमता पर निर्भर करती है। इन सभी पैमानों पर हम सौभाग्यशाली हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी, मोदी जी के रूप में प्रभावशाली नेतृत्व व अवसरों का सही उपयोग करने की समझ 21वीं सदी के भारत में है। गुणवत्तापरक शिक्षा व रोजगार एक समृद्ध समाज की बुनियादी जरूरत है और यह सही है कि शिक्षा और रोजगार को अलग करके नहीं देखा जा सकता लेकिन व्यवहार में अक्सर इनमें समन्वय का अभाव दिखता है। 

देश में हर साल बड़ी संख्या में युवा ग्रैजुएट बनकर जॉब मार्कीट के लिए तैयार हो जाते हैं परंतु दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि उनमें से ज्यादातर संख्या उनकी है जो बाजार की मांग के अनुरूप फिट नहीं बैठते। इसमें दो राय नहीं कि भारत की जनसंख्या के अनुपात में रोजगार पैदा करना बेहद मुश्किल काम है परंतु ऐसा भी नहीं कि दुनिया की इस तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी का स्तर कम करना मुमकिन ही न हो। आवश्यकता है उन रास्तों को ढूंढने की जो श्रम बाजार की नई जरूरतों के अनुरूप हो। 

वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में सूक्ष्म एवं सामान्य कौशल रोजगार के क्षेत्र नहीं टिक पाएंगे। तब दो ही तरह के स्किल सैट रहेंगे। पहला, अत्यधिक विकसित तकनीकी क्षमताओं वाले, जैसी मशीन लर्निंग बिग डाटा, रोबोटिक्स और दूसरा मानव कौशल। हमें यह नहीं भूलना है कि आज का पारिस्थितिकी तंत्र एक ऐसे कार्यबल की मांग कर रहा है जो अनिश्चितता को संभाल सके और निरंतर होने वाले परिवर्तनों के अनुरूप हो। 

आज रोजगार के ज्यादातर अवसरों का लाभ उठाने के लिए व्यावसायिक कौशल की आवश्यकता है। कार्यबल को नई आवश्यकताओं के अनुरूप सक्षम बनाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम को व्यावसायिक शिक्षा के साथ समेकित कर बेहतर बनाने की आवश्यकता है। आज स्कूलों या कॉलेजों में ऐसा कोई पाठ्यक्रम नहीं है जो छात्रों को बदलते समय के अनुसार खुद को अपग्रेड करने, उनके एटीच्यूड को बदलने और जीवनपर्यंत मांग के अनुसार अपने स्किलसैट में परिवर्तन करने की शिक्षा देता हो। 

यह होना चाहिए और इसके साथ ही इंडस्ट्री के अनुभवी लोगों को आगे आकार छात्रों से अपने अनुभव सांझा करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि भारत में रोजगार के अवसरों की कमी है, मौजूदा समय में इंडस्ट्री की मांग स्किल्ड वर्कफोर्स की है और मोदी सरकार द्वारा हाल ही में लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आर्थिक और सामाजिक विश्लेषक बेरोजगारी दूर करने की एक मजबूत पहल के रूप में प्रभावी होगी। स्कूली शिक्षा में कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण यकीनन रोजगार युक्त व्यवस्था की नींव को मजबूत करेगा लेकिन इसके लिए हमें गहराई से दो विषयों को एक समान नजरिए से देखने की आवश्यकता है। 

पहला इंडस्ट्री और वर्कफोर्स एक-दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता। दूसरा युवाओं का यह देश स्टार्टअप नेशंस की सूची में चौथे नम्बर पर है और यदि इन स्टार्टअप्स को ज्यादा मशक्कत किए बिना स्किल्ड वर्कफोर्स मिले तो चौथे से पहले पायदान पर पहुंचने में हमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। सवाल उठता है इसके लिए हमें करना क्या होगा? इसके लिए इंडस्ट्री और यूथ दोनों पहल के अंतर्गत एक-एक कदम उठाएं। एक उदाहरण से समझाता हूं तो तस्वीर ज़्यादा साफ दिखेगी..मैं पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से आता हूं और हमारे यहां के लोग अपनी मेहनत व ईमानदारी के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। 

वैसे तो यहां ज़्यादातर रुझान सरकारी नौकरियों का है मगर ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जिन्होंने रोजगार, स्वरोजगार के जरिए अपनी पहचान न बनाई हो। मगर एक सच्चाई यह भी है कि किताबी ज्ञान लेकर बड़ी तादाद में युवा यहां से रोजगार के लिए बाहर प्रदेशों को जाते हैं मगर एक शुरूआती समस्या यह आती है कि बाहर जाकर उन्हें रहने, खाने व सही मार्गदर्शन व उचित प्रशिक्षण की चुनौती बनी रहती है। मेरे संसदीय क्षेत्र में एक नई पहल यह है कि सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही एक इंडस्ट्री यहां के युवाओं को 42 दिन तक मुफ्त ट्रेनिंग, उनके रहने खाने व गारंटिड रोजगार के प्रस्ताव के साथ सामने आई और बड़ी संख्या में युवा इस स्टार्टअप की पहल का स्वागत करते हुए उनके साथ जुड़ गए। 

यहां दो मकसद एक साथ सिद्ध हुए, पहला युवाओं को उनके घर के पास इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षण मिल रहा है, दूसरा इंडस्ट्री को स्किल्ड वर्कफोर्स। तो मेरा यही कहना है कि यह एक सराहनीय कदम है एवं हमें इस फील्ड को और एक्सप्लोर करने की जरूरत है इसी में दोनों का कल्याण निहित है। 

भारत जैसा देश बेरोजगारी की जंग से तभी लड़ सकता है जब हम सभी स्किल्ड मैनपावर और बेहतर नौकरी के बीच के अंतर को भरने के लिए काम करेंगे। हाल ही में ऑब्जर्वर रिसर्च फाऊंडेशन और वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (ORF-WEF) ने यंग ‘इंडिया एंड वर्क’ नामक एक अध्ययन किया। इसके मुताबिक, भारत के 70 फीसदी युवा सरकार द्वारा चलाए जा रहे कौशल विकास योजनाओं से अनभिज्ञ हैं। हालांकि 70 फीसदी से अधिक युवा कौशल प्रशिक्षण लेने में गहन रुचि रखते हैं। देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस उसमें निखार लाने की जरूरत है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत विजन को साकार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।-अनुराग ठाकुर(केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री)

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