दुनिया में हथियारों की घातक होड़

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2017 02:18 PM

deadly arms race in the world

हाल ही में चीन ने कथित रूप से एक नई मिसाइल DF-5 (दोंगफेंग) का टेस्ट किया। इसके लिए 10 मल्टीपल टार्गेटेबल व्हीकल का इस्तेमाल किया गया, टेस्ट के लिए नकली वॉरहेड्स लगाए गए। चीन ने जिस DF-5 ...

हाल ही में चीन ने कथित रूप से एक नई मिसाइल DF-5 (दोंगफेंग) का टेस्ट किया। इसके लिए 10 मल्टीपल टार्गेटेबल व्हीकल का इस्तेमाल किया गया, टेस्ट के लिए नकली वॉरहेड्स लगाए गए। चीन ने जिस DF-5 मिसाइल का टेस्ट किया, वह 10 न्यूक्लियर वॉरहेड्स ले जाने में कैपेबल है। इससे पहले प्रतिबंधित चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर देश के पहले स्टेल्थ लड़ाकू विमान जे-20 की तस्वीरेंसामने आई हैं, जिन पर एयरफोर्स के निशान तथा सीरियल नंबर भी डले हुए हैं,जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि यह विमान अब चीनी वायुसेना की स्क्वाड्रन सर्विस में शामिल होने जा रहा है। पिछले साल सितंबर में भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के पूर्व में तिब्बती स्वायत्त प्रीफैक्चर में बेहद ऊंचाई पर बने डाओशेंग याडिंग एयरपोर्ट पर जे-20 का परीक्षण भी किया गया था। राडार को चकमा देने वाले स्टेल्थ डिज़ाइन से बनाए गए सुपरसोनिक जे-20 विमान में हथियार रखने की जगह भीतर ही है, जहां हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं।

पंखों के नीचे भारी-भारी हथियारों को लेकर उड़ने वाले परंपरागत लड़ाकू विमानों से अलग जे-20 का 'साफ' डिज़ाइन उसे लो राडार प्रोफाइल देता है, जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमानों और ज़मीन पर तैनात सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए विमान को ट्रैक करना और उस पर निशाना साधना बेहद मुश्किल हो जाता है। जे-20 की कुछ और तकनीकी खासियतें भी सार्वजनिक की जा चुकी हैं, हालांकि  पश्चिमी ऑब्ज़र्वरों ने जे-20 के इंजन को लेकर संदेह व्यक्त किया है। चीनी सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखने वाली 'द नेशनल इंटरेस्ट' के रक्षा संपादक डेव मजूमदार के अनुसार, "जे-20 की मौजूदा बनावट बाहरी रूप से तो कई मायनों में वास्तव में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों जैसी है, लेकिन इंजन और मिशन सिस्टम एवियॉनिक्स तकनीक के मामले में चीन अब भी काफी पिछड़ा हुआ है। बहरहाल, चीन ने जे-20 को जिस गति से विकसित किया है, उससे अंतरराष्ट्रीय ऑब्ज़र्वर भौंचक्के रह गए हैं।

क्योंकि जे-20 को बोइंग के एफ-22 के जवाब के तौर पर डिज़ाइन किया गया था, जो अमेरिकी वायुसेना में मौजूद सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है। पिछले एक दशक के दौरान पीएलएएएफ ने कई नए स्वदेशी विमान विकसित किए और सेना में शामिल किए हैं, जिनमें जे-10 और जे-11 भी शामिल हैं, जो रूसी सुखोई-27 का वेरिएन्ट हैं। अब 'पांचवी पीढ़ी' के जे-20 के अलावा चीन लगातार एक और छोटे स्टेल्थ लड़ाकू विमान, जिसे जे-31 नाम दिया गया है, का भी परीक्षण कर रहा है, जिसका आकार उस अमेरिकी एफ-35 जैसा है, जो दुनियाभर में सहयोगी देशों की वायुसेनाओं में दिखने जा रहा है। वहीं हाल ही में पाकिस्तान ने सबमरीन से दागी जाने वाली मिसाइल बाबर-३ का टेस्ट किया। इस मिसाइल की रेंज 450 किलोमीटर है।बाबर-३ पाकिस्तान द्वारा पहले टेस्ट की जा चुकी बाबर-२ मिसाइल का अपडेटेड वर्जन है। बाबर-२ भी क्रूज मिसाइल है और जमीन से दागी जाती है।

इसका टेस्ट दिसंबर में किया गया था। रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, बाबर-३ को सबमरीन से कंट्रोल और फायर किया जा सकता है। इसमें एडवांस्ड गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम लगाए गए हैं। ये रडार की पकड़ में आने से बचने के लिए पानी की सतह के कुछ ऊपर से अपने टारगेट तक पहुंच सकती है। वहीं ईरान ने भी हाल के समय में ईरान ने मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया था। वहीं उत्तर कोरिया अपने मिसाइल प्रोग्राम को लगातार बढ़ा रहा है, इससे केवल इंटरनेशनल सिक्युरिटी ही नहीं, उसके खुद के डिफेंस को भी खतरा है। इंटरनेशनल कम्युनिटी को धता बताकर नॉर्थ कोरिया न्यूक्लियर नॉर्म्स का लगातार वॉयलेशन कर रहा है। पिछले साल उसने अवैध तरीके से २ न्यूक्लियर टेस्ट किए। नॉर्थ कोरिया जिस तरह से अपनी ताकत बढ़ा रहा है, उस लिहाज से दुनिया के लिए वह चुनौती साबित होगा। नॉर्थ कोरिया को कड़ा मैसेज देना होगा कि उसका कोई धमकी कारगर साबित नहीं होगी, अवैध हथियारों के दम पर न तो कोई सुरक्षित रह सकता है और न ही दुनिया में सम्मान पा सकता है। अब ये नॉर्थ कोरियाई लीडर्स को तय करना है कि वे अलग-थलग पड़े रहना चाहते हैं या फिर अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मानते हैं।
 
 रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक सम्मेलन में कहा था कि रूस को अपने सामरिक परमाणु अस्त्रों की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। उनके इस बयान के कुछ घंटे बाद ही अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को अपने परमाणु हथियारों का ज़खीरा और मजबूत करके उसका विस्तार करना चाहिए। अगर ट्रंप और पुतिन ने अपनी बातों पर अमल करना शुरू किया तो वाकई दुनिया के लिए बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। शीतयुद्ध के बाद दोनों देश इस पर सहमत हुए थे कि वे अपनी रक्षा नीति में परमाणु हथियारों पर निर्भरता कम करेंगे। उन्होंने न सिर्फ हथियारों में कटौती की थी बल्कि दूसरे मुल्कों को भी इसके लिए प्रेरित किया था, साथ ही परमाणु हथियारों की होड़ रोकने के लिए बनी अंतराष्ट्रीय संस्थाओं में दोनों सक्रिय थे, इनकी सक्रियता से दुनिया में परमाणु हथियारों के खिलाफ एक माहौल बन गया था। जिससे कई देशों ने हथियार बनाने और उनके इस्तेमाल से परहेज किया।
 
अब जबकि ये दोनों ताकतवर देश बाकायदा घोषणा कर हथियार की होड़ शुरू करेंगे तो mफिर दूसरी ताकतों को भी बढ़ावा मिलेगा। ट्रंप और पुतिन के बयानों ने तथा चीन की कार्यशैली ने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। सच्चाई यह भी है कि पिछले कुछ समय से अमेरिका और रूस के बीच कई मुद्दों पर तनातनी रही है। सीरिया और यूक्रेन पर टकराहट जगजाहिर है। पाकिस्तान, रूस औऱ नॉर्थ कोरिया अपनी सुरक्षा के लिए हथियार बनाते रहे तो इससे एटमी वॉर का खतरा हो सकता है। साथ ही इससे यूरोप, साउथ एशिया या फिर ईस्ट एशिया में आपस में जंग हो सकती है। डर इस बात का भी है कि अगर राष्ट्रों के बीच हथियारों की होड़ बढ़ी तो दुनिया पहले की तरह फिर दो ध्रुवों में बंट सकती है।
  
मामला सिर्फ राष्ट्रों का ही नहीं, नॉन स्टेट एक्टर्स का भी है। दुनिया में अनेक ऐसे संगठन हैं जो दहशतगर्दी के जरिए अपनी बात मनवाना चाहते हैं। अगर उनके हाथ परमाणु हथियार लगे तो वे भारी तबाही फैला सकते हैं। दूसरी तरफ नॉर्थ कोरिया जैसा देश भी है, जो विश्व बिरादरी की परवाह नहीं करता। कुछ ऐसे देश जिनके पास न्यूक्लियर हथियार है, संभावना है कि उनके पास ये वेपन्स आतंकियों के हाथ लग जाएं। इससे खतरा और बढ़ सकता है। महज एक एटम बम ही दुनिया में काफी नुकसान पहुंचा सकता है। आतंकी न्यूक्लियर मटेरियल को हथियारों में बदलना चाहते हैं और वे ऐसा कर भी सकते हैं। कोई भी देश अकेला इस खतरे का सामना नहीं कर सकता। तमाम शक्तियों को दुनिया से न्यूक्लियर हथियार खत्म करने की दिशा में काफी काम करना होगा। हथियारों पर खर्च बढ़ने से सामाजिक-आर्थिक विकास पर हो रहे व्यय में कमी होगी जिसका नुकसान अंतत: हरेक देश की आम जनता को ही होगा। दुर्भाग्य तो यह है कि यूएन जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था भी लगभग नख-दंत विहीन हो गई है। वह इन पर रोक लगाने में सक्षम नहीं। ऐसे में विश्व बिरादरी को एकजुट होकर हथियारों की होड़ रोकने के लिए आगे आना होगा।


                                                                                            ये लेखक के अपने विचार है।
 
                                                                                              सत्यम सिंह बघेल 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!