Edited By Pardeep,Updated: 30 Jun, 2018 03:06 AM
हिंदुस्तान में कभी महिलाओं को देवी का दर्जा प्राप्त था पर वे दिन हवा हो चुके हैं। आजकल तो मीडिया में महिलाओं पर यौन अत्याचार की खबरें देख-पढ़ कर किसी का भी मूड खराब हो सकता है। यही वजह है कि एक अन्तर्राष्ट्रीय एजैंसी का मानना है कि यौन शोषण और हिंसा...
हिंदुस्तान में कभी महिलाओं को देवी का दर्जा प्राप्त था पर वे दिन हवा हो चुके हैं। आजकल तो मीडिया में महिलाओं पर यौन अत्याचार की खबरें देख-पढ़ कर किसी का भी मूड खराब हो सकता है। यही वजह है कि एक अन्तर्राष्ट्रीय एजैंसी का मानना है कि यौन शोषण और हिंसा के मामले में हिंदुस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। उधर इंटरनैट पर पोर्न सर्च करने में भी इंडिया अव्वल है। ऐसे में यह सर्वे करने वाली एजैंसी थॉमसन रायटर्स फाऊंडेशन की जुबानी बात करें तो हम हॉर्निस्तान में तबदील हो गए हैं। हॉर्नी शब्द इंटरनैट पर सैक्स के संदर्भ में किया जाता है।
महिलाओं का यौन शोषण और उन पर अत्याचार के लिहाज से यह देश दुनिया में सबसे खतरनाक है। एक सर्वे में यौन ङ्क्षहसा और बंधुआ मजदूरी को इसकी वजह बताया गया है। थॉमसन रॉयटर्स फाऊंडेशन ने महिलाओं के मुद्दे पर 550 एक्सपर्ट्स का सर्वे जारी किया है। इसमें घरेलू काम के लिए मानव तस्करी, जबरन शादी और बंधक बनाकर यौन शोषण के लिहाज से भी हिंदुस्तान को खतरनाक करार दिया गया है। महिलाओं के लिए खतरनाक टॉप 10 देशों में पाकिस्तान छठे नम्बर पर है जबकि अमरीका 10वें स्थान पर है।
सर्वे में यह भी कहा गया है कि देश की सांस्कृतिक परम्पराएं भी महिलाओं पर असर डालती हैं। इसके चलते उन्हें एसिड अटैक, गर्भ में बच्ची की हत्या, बाल विवाह और शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है। 7 साल पहले इसी सर्वे में हिंदुस्तान महिलाओं के मामले में दुनिया में चौथे नम्बर का सबसे खतरनाक देश था। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान में महिलाओं को तस्करी से सबसे ज्यादा खतरा है। महिलाओं को यहां अभी भी यौन शोषण की वस्तु माना जाता है। यहां 2016 में मानव तस्करी के 15 हजार मामले दर्ज किए गए जिनमें से दो-तिहाई महिलाओं से जुड़े थे। इनमें से आधी महिलाओं की उम्र 18 साल से कम थी। ज्यादातर महिलाओं को जिस्मफरोशी या घर में काम करने के लिए बेचा गया था। ग्रामीण लड़कियों को बड़े शहरों में नौकरी दिलाने या शादी कराने के नाम पर ले जाया जाता है।
दिसम्बर 2012 में दिल्ली में निर्भया सामूहिक दुष्कर्म केस हुआ। पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने यौन हिंसा को रोकने के लिए कई सुधार किए। यौन हिंसा पर जुर्माना और सजा की अवधि बढ़ाई है। दोषी को मौत की सजा का प्रस्ताव भी रखा है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के मुताबिक हिंदुस्तान में रोज यौन हिंसा के 100 मामले दर्ज हो रहे हैं। 2016 में महिलाओं पर कथित रूप से 39 हजार हमले हुए। 2015 के मुकाबले यह आंकड़ा 12 फीसदी ज्यादा है।