Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 04:28 AM
आजादी के बाद कश्मीर को हथियाने के लिए तो पाकिस्तान ने हर तरह के हथकंडे अपनाए हैं। चाहे वे 1947 में कबाइलियों के रूप में या 1999 में आतंकियों के रूप में कारगिल का हमला हो या 1965 और 1971 की सीधी लड़ाइयां हों, पाकिस्तान ने मुंह की खाई है, फिर भी...
आजादी के बाद कश्मीर को हथियाने के लिए तो पाकिस्तान ने हर तरह के हथकंडे अपनाए हैं। चाहे वे 1947 में कबाइलियों के रूप में या 1999 में आतंकियों के रूप में कारगिल का हमला हो या 1965 और 1971 की सीधी लड़ाइयां हों, पाकिस्तान ने मुंह की खाई है, फिर भी पाकिस्तान वह कुत्ते की दुम है जो सीधी नहीं हो सकती।
1988 से लेकर आज तक पाकिस्तान ने कश्मीर में जो आतंकवाद फैला रखा है वो भारत के लिए एक नासूर बन गया है और कश्मीर में शांति बहाली और आतंकवाद का सफाया भारत सरकार के मुख्य एजैंडों में शामिल है परंतु यहां हम एक बात भूल रहे हैं जो सिर्फ कश्मीर ही नहीं, समूचे भारत के हित के लिए है। कहावत है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होते हैं और यह बात किसी से छुपी भी नहीं है कि भारत के चीन के साथ किस तरह के रिश्ते हैं और चीन रह-रह कर किस तरह पाकिस्तान का साथ देता है और भारत के प्रति किस तरह अपना जहर उगलता है।
यह वही ड्रैगन है जो 1962 में ‘हिन्दी चीनी भाई-भाई’ बोलकर भारत की सीमाओं में घुस गया था। चीन पर किसी भी तरह का विश्वास नहीं किया जा सकता। यह भी हम भली-भांति जानते हैं कि कभी लद्दाख में तो कभी अरुणाचल में चीन सीमा का उल्लंघन करता रहता है। शी जिनपिंग के दोबारा राष्ट्रपति चुन लिए जाने के बाद चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ अपनी नीतियों को लेकर और आक्रामक होते दिख रहा है। चीन ने 1000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इस सुरंग के जरिए चीन तिब्बत से ब्रह्मपुत्र के पानी को अपने सूखा प्रभावित शिनजियांग प्रांत की तरफ खींचना चाहता है। पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य कृषि कार्यों के लिए ब्रह्मपुत्र के पानी पर निर्भर हैं। ब्रह्मपुत्र में पानी की कमी इन क्षेत्रों में सूखे की स्थिति ला सकती है। विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि सुरंग के जरिए पानी छोडऩे से पहले भारी मात्रा में पानी का संग्रहण करना निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी ला सकता है। इसका प्रभाव हमारे उत्तर पूर्वी राज्यों में देखने को मिल रहा है कि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी कितना प्रदूषित हो चुका है इस सुरंग के खनन के कारण। यह तो रहा एक मुद्दा।
अब मैं आपका ध्यान चीन की पाकिस्तान में बढ़ती गतिविधियों की तरफ दिलाना चाहता हूं जैसे कि चीन की योजना भविष्य में पाकिस्तान को अपने एक आर्थिक उपनिवेश के तौर पर बनाने की है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना के लिए चीन को हजारों एकड़ कृषि भूमि लीज पर दी गई है, जिस पर वह डेमोंस्ट्रेशन प्रॉजैक्ट्स और फाइबर-ऑप्टिक सिस्टम स्थापित करेगा। सी.पी.ई.सी. के लिए इन प्रस्तावों से इस बात की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान चीन का आर्थिक उपनिवेश बन जाएगा। सी.पी.ई.सी. के जरिए चीन का शिनजियांग प्रांत बलूचिस्तान में अरब सागर के तट से जुड़ जाएगा। चीन की इस योजना के दूरगामी असर पड़ेंगे और इससे उसकी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गहरी घुसपैठ हो जाएगी। इससे भारत पर भी काफी असर पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान की संप्रभुता करीब-करीब खत्म हो जाएगी और चीन का उस पर प्रभावी नियंत्रण हो जाएगा। इस तरह चीन पूर्व के साथ-साथ भारत की पश्चिमी सीमा के भी नजदीक हो जाएगा।
पाकिस्तान ने चीन की मदद से भारत के राजस्थान के साथ लगती सीमा में 200 के करीब पक्के बंकर बना लिए हैं तथा 100 के लगभग और बनाने की तैयारी में है। इसके साथ-साथ चीन की मदद से पाकिस्तान में राजस्थान की जैसलमेर के घोटारू सीमा के ठीक सामने 25 किलोमीटर की दूरी पर कदनवारी के खेरपुर में एयरबेस तैयार हो चुका है। यहां पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी कुछ महीनों में बढ़ी है। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान ने इस एयरबेस पर मिग-21 के समकक्ष चीन से मिले चेनगुड जे-7 फाइटर विमान, जे.एफ.-17 फाइटर विमान, वाई-8 राडार और कई अत्याधुनिक संसाधन उतार दिए हैं। चीनी सैनिक केवल राजस्थान सीमा पर ही नहीं, गुजरात से लगती सीमा पर भी एयरपोर्ट तैयार कर रहे हैं। चीन की पाकिस्तान में गतिविधियां ये दर्शाती हैं कि चीन किस तरह से उत्तर-पूर्व के साथ-साथ पश्चिमी सीमा से भी भारत को घेरने की तैयारी में है। यहां भारत को भी चाहिए कि वह चीन की इन चालों को नजरअंदाज न करके इस बात को गंभीरता से ले और अपने आप को दुश्मन की किसी भी गलत हरकत के लिए तैयार रखे।-विकास सेठी