विदेश व्यापार नीति में ‘इंडस्ट्रीज ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस’ पर ध्यान देना जरूरी

Edited By ,Updated: 01 Jun, 2023 06:12 AM

it is necessary to focus on  industries of export excellence  in ftp

किसी भी देश के आर्थिक विकास में एक्सपोर्ट की बड़ी अहमियत होती है। कोविड-19 के बाद दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरे भारत को अभी दुनिया के एक्सपोर्ट कारोबार में अपनी हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से आगे बढ़ाने का सफर तय करना है।

किसी भी देश के आर्थिक विकास में एक्सपोर्ट की बड़ी अहमियत होती है। कोविड-19 के बाद दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरे भारत को अभी दुनिया के एक्सपोर्ट कारोबार में अपनी हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से आगे बढ़ाने का सफर तय करना है।

आबादी मेंं चीन से आगे पहले पायदान पर पहुंचा भारत दुनिया के कारोबार बाजार में 13वें स्थान पर है जबकि 12.5 प्रतिशत हिस्सेदारी से चीन पहले पायदान पर काबिज है। एक्सपोर्ट कारोबार को रफ्तार देने के लिए एक अप्रैल 2023 से लागू हुई नई विदेश व्यापार नीति(एफ.टी.पी) के तहत 2030 तक एक्सपोर्ट कारोबार 2 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर करने का लक्ष्य है। इस नीति के लागू होने से उम्मीद की जा रही है कि भारत एक्सपोर्ट हब के रूप में उभरेगा। नई एक्सपोर्ट नीति में अभी कई सारे सुधार करने की जरूरत है। 

पुरानी विदेश व्यापार नीतियों की तर्ज पर नई नीति में भी 4 नए ‘टाऊन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस’(टी.ई.ई) जोड़े जाने से देशभर में अब 43 टाऊन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस हो गए हैं। 766 जिलों के देश में केवल 43 टाऊन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस वैश्विक बाजारों मेंं पहुंच बढ़ाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी में माफी व कुछेक वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। ऐसे पक्षपाती फैसले केंद्र सरकार के ‘वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट’ और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के प्रयासों को कमजोर करते हैं। इसलिए कारगर विदेश व्यापार नीति के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण अपनाए जाने की जरूरत है। इसमें उन औद्योगिक समूहों को शामिल किया जाना चाहिए जिनमें एक्सपोर्ट कारोबार बढ़ाने की अपार क्षमता है। 

विदेश व्यापार नीति की ‘टाऊन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस’ स्कीम को हैंडीक्राफ्ट, हौजरी, हैंडलूम और गारमैंट्स तक सीमित रखने की बजाय ‘इंडस्ट्री ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस’ (आई. ई.ई) पर केंद्रित करने की जरूरत है। ऐसे उद्योगों की पहचान और उन्हें प्रोत्साहन जरूरी है जो 2030 तक दुनिया के एक्सपोर्ट बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक ले जाने की क्षमता रखते हों। इनमें कपड़ा एवं परिधान, ऑटो पार्ट्स, इंजीनियरिंग गुड्स, ट्रैक्टर, साइकिल,हैंड व मशीन टूल्स व खेती उत्पादों में बासमती चावल, फल व सब्जियों के अलावा डेयरी एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने से कारोबारियों के साथ किसानों को भी लाभ मिलेगा। 

एक्सपोर्ट कारोबार में हिस्सेदारी व संभावनाएं : बासमती : वैश्विक बाजार में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, भारत बासमती चावल का प्रमुख एक्सपोर्टर है जिसमें पंजाब  का 45 प्रतिशत योगदान है। नए वैश्विक बाजारों में विस्तार के लिए गैर-बासमती की तरह बासमती का कारोबार बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है। 2021-22 के दौरान 39.50 लाख टन बासमती चावल के एक्सपोर्ट से भारत ने 26,417 करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा अर्जित की थी जबकि इसी अवधि में 72 लाख टन गैर-बासमती चावल एक्सपोर्ट से 45652 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था। 

ट्रैक्टर : सालाना 30 लाख ट्रैक्टरों के वैश्विक बाजार में भारत साल में 10 लाख से अधिक ट्रैक्टरों का उत्पादन करता है। 16 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ जर्मनी ट्रैक्टरों के एक्सपोर्ट में सबसे आगे है जबकि भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.2 प्रतिशत है। 2022 में करीब 9 लाख ट्रैक्टर घरेलू बाजार में बेचे गए जबकि 1.31 लाख ट्रैक्टरों का एक्सपोर्ट किया गया जिसमें 34 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सोनालीका देश की सबसे बड़ी ट्रैक्टर एक्सपोर्टर कंपनी है। अमरीका, ब्राजील, अर्जेंटीना, तुर्की, सार्क और अफ्रीकी देशों में एक्सपोर्ट और बढ़ाने की संभावना है। 2025 तक भारत से सालाना 2 लाख से अधिक ट्रैक्टर एक्सपोर्ट हो सकते हैं। 

ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग गुड्स : जर्मनी, चीन, अमरीका, जापान और मैक्सिको की ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट  बाजार में 54 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ऑटोमोबाइल कंपोनैंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक देश में 5.10 लाख करोड़ के ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग सामान के कारोबार में से 25 प्रतिशत एक्सपोर्ट होता है जबकि दुनिया के बाजार में हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है। स्थानीय मूल उपकरण निर्माताओं (ओ.ई.एम) और आफ्टर मार्कीट सैगमैंट में मजबूत अंतर्राष्ट्रीय मांग से भारतीय ऑटो पार्ट्स उद्योग का कोराबार बढऩे की उम्मीद है। 

आगे की राह : ‘लोकल गोज ग्लोबल’ के लिए एक्सपोर्ट क्षमता वाले उत्पादों एंव सेवाओं की पहचान करके ‘न्यू इंडिया’ को नए लक्ष्य तय करने की जरूरत है। ‘वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट’ स्कीम के तहत जिला स्तर पर एक्सपोर्ट बढ़ाने वाली औद्योगिक इकाइयों की पहचान की जाए। दूर-दराज के जिलों के एम.एस.एम.ई. का एक्सपोर्ट कारोबार बढ़ाने से न केवल देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा बल्कि पिछड़े इलाकों में भी रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)

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