अयोध्या में ‘राम मंदिर शिलान्यास’ और पालमपुर का रोटरी भवन

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2020 02:07 AM

ram temple foundation stone  in ayodhya and rotary bhawan of palampur

आज से 31 वर्ष पूर्व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति ने इसी पालमपुर के रोटरी भवन में राम मंदिर आंदोलनमें शामिल होने का ऐतिहासिक निर्णय किया था। उसके बाद श्री लाल कृष्ण अडवानी जी ने सोमनाथसे लेकर अयोध्या तक ऐतिहासिक रथ..

आज से 31 वर्ष पूर्व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति ने इसी पालमपुर के रोटरी भवन में राम मंदिर आंदोलनमें शामिल होने का ऐतिहासिक निर्णय किया था। उसके बाद श्री लाल कृष्ण अडवानी जी ने सोमनाथसे लेकर अयोध्या तक ऐतिहासिक रथ यात्रा की। देश जागा, पूरा देश आंदोलन के साथ खड़ा हो गया। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में मस्जिद ध्वस्त हुई। भाजपा की चार सरकारें भंग हो गईं। लम्बी मुकद्दमेबाजी हुई। राम भक्तों के प्रयत्नों से अंत में सर्वोच्च न्यायालयनेनिर्णय लिया और भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। 

1989 में मैं प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष था। पार्टी की ओर से कार्य समिति की बैठक पालमपुर में करने का आग्रह हुआ। प्रदेश प्रभारी श्री कृष्ण लाल शर्मा जी ने मुझ से आग्रह किया कि मैं स्वयं पालमपुर में कार्य समिति का निमन्त्रण दूं। पालमपुर में इतना बड़ा कार्यक्रम करना बहुत ही कठिन लग रहा था परन्तु हमने आग्रह स्वीकार किया। मुझे याद है कि सबसे बड़ी कठिनाई तीन दिन की कार्य समिति का छोटे  से पालमपुर में प्रबंध करना और उसके लिए धन की व्यवस्था करना था। उस समय पार्टी के कार्यक्रम पूरी तरह से कार्यकत्र्ताओं को ही करने पड़ते थे। आज की तरह की सम्पन्नता नहीं थी। जिला भर के कार्यकत्र्ताओं ने सहयोग दिया, धन इक_ा हुआ। सब प्रकार की व्यवस्था  की। पालमपुर के रोटरी भवन में 9, 10, 11 जून, 1989 को कार्य समिति की बैठक हुई। बैठक की पूरी व्यवस्था भी मेरे जिम्मे थी और कार्य समिति का सदस्य होने के कारण मैं बैठक में भाग भी ले रहा था। लम्बी चर्चा के बाद कार्य समिति ने प्रस्ताव पारित किया कि भाजपा मंदिर बनाने के आंदोलन में पूरी शक्ति लगाएगी। 

श्री अटल जी, श्री अडवानी जी और विजयाराजे सिंधिया जी को पालमपुर सैशन हाऊस में ठहराया गया था। उसकी अनुमति हाईकोर्ट से लेनी पड़ी थी। श्रीमती सिंधिया जी रामायण सीरियल देखने के लिए एक कार्यकत्र्ता को साथ लेकर अचानक हमारे घर पहुंच गईं।  उन दिनों सैशन हाऊस में टी.वी. नहीं था। हम हैरान हुए परन्तु बहुत प्रसन्न हुए। मेरे घर में बैठ कर उन्होंने रामायण देखा। एक दिन पालमपुर के मेरे निवास पर  पूरी कार्य समिति को कांगड़ी-धाम खिलाई। श्री अटल जी समेत सभी नेता धरती पर बैठे और पतलों पर भोजन किया। 

कार्य समिति के अंतिम दिन पालमपुर में ऐतिहासिक विशाल रैली हुई। पूरा गांधी मैदान भर गया, लोग दूर तक खड़े रहे, बाजार में दूर तक लाऊड स्पीकर लगानेपड़े। रैली समाप्त हो गई पर लोगों के आने का तांता लगा रहा। वैसी रैली न कभी पहले हुई थी न उसके बादकभी हुई। पालमपुर की जनता को भी ऐतिहासिक कार्य समिति की बैठक याद है और कार्य समिति के सदस्यों को भी कई दिन तक पालमपुर की कांगड़ी धाम याद रही थी। हम सबके लिए यह परम सौभाग्य का अवसर था। उसके बाद प्रदेश की एक बैठक में यह तय हुआ कि 1990 के विधानसभा की दृष्टि से पार्टी को कोई विशेष कार्यक्रम करना चाहिए। महेन्द्र सोफत, प्रदेश मंत्री थे। उन्होंने सुझाव दिया कि मैं पालमपुर से शिमला तक पद यात्रा करूं। 

कृष्ण लाल शर्माजी ने सुझाव को सराहा। मैंने स्वीकार किया और फिर 14 दिन की ऐतिहासिक पद यात्रा पालमपुर से शिमला तक की। मैं दिन भर चलता। सैंकड़ों कार्यकत्र्ता मेरे साथ चलते। कई जगह मेरा भाषण होता। रात को जहां ठहरता वहां भी खूब भीड़ इकट्ठी हो जाती।  ऐसा जन आंदोलन बन गया कि भाजपा कार्यकत्र्ता ही नहीं आम जनता हमारे साथ शामिल हो गई। कई जगह कार्यकत्र्ता का घर नहीं था तो उस जगह के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति ने बड़े प्यार व आदर के साथ मुझे अपने घर ठहराया। मेरे साथ चलने वालों में महिलाएं व आम जनता भी शामिल होने लगी। 

पद यात्रा की पूरी व्यवस्था मुख्य रूप से श्री महेन्द्र सोफत ने की थी। घुमारवीं से आगे एक पुल पर वे चंडीगढ़ के प्रमुख संवाददाताओं को ले आए थे। पुल के दोनों तरफ भीड़ थी। उस  दिनके बाद पूरे मीडिया में पद यात्रा के समाचार छाए रहे थे। उसके बाद शिमला में एक भव्य ऐतिहासिक रैली हुई। श्री अटल जी और श्रीमती सुषमा स्वराज जी आए थे। आज वे दोनों इस दुनिया में नहीं हैं। पर उन दोनों की रैली में कही हुई एक-एक बात मुझे याद है। शिमला में रिज के नीचे का मैदान कम पड़ गया। लोग दूर-दूर तक पहाडिय़ों पर बैठे सुन रहे थे। 

सुषमा स्वराज जी ने कहा था, ‘‘मैंने वृक्षों के पहाड़ तो देखे हैं परन्तु आज पहली बार मैं मनुष्यों के पहाड़ देख रही हूं।’’ श्री अटल जी ने कहा था, ‘‘पालमपुर में कार्य समिति की बैठक, उसके बाद राम मंदिर प्रस्ताव और फिर पालमपुर की भव्य रैली, उसके बाद शांता कुमार की पद यात्रा और फिर आज यह इतनी बड़ी रैली देख कर मुझे विश्वास हो गया है कि आने वाले चुनाव में शांता कुमार हिमाचल के मुख्यमंत्री बनेंगे।’’ फिर कुछ रुक कर बोले, ‘‘मुझे लग रहा है चुनावतो आज ही हो गया बस वोटों की गिनती उस दिनहोगी।’’ 

उसके कुछ दिन बाद लोकसभा का चुनाव हुआ। मैं लोकसभा के लिए चुना गया। कुछ दिन के बाद ही हिमाचल विधानसभा का चुनाव हुआ।  भाजपा को ऐसी ऐतिहासिक जीत हासिल हुई जो आज तक कभी किसी पार्टी को प्राप्त नहीं हुई। समझौते में 51 सीटें लड़कर हमने 46 जीतीं। समाचार पत्रों में जीतने वालों की चर्चा नहीं होती थी। यह चर्चा होती थी कि वे पांच कौन अभागे हैं जो इतनी बड़ी लहर में भी जीत नहीं पाए। मैं दो स्थानों सुलह और पालमपुर विधानसभा से चुना गया। राजनीतिक इतिहास में एक नया रिकार्ड बना। एक ही समय पर मैं सांसद भी था और दो स्थानों से विधायक भी था। कुछ दिन के बाद ही एक लोकसभा और एक विधानसभा से त्यागपत्र देकर मैं हिमाचल प्रदेश का दूसरी बार मुख्यमंत्री बना। 1989 और 1990 का समय हिमाचल के इतिहास में भाजपा की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए याद किया जाएगा। 

पूरा विश्व उन मर्यादा पुरुषोत्तम को बड़ी श्रद्धा व सम्मान से देखता है। प्रभु राम पूरे देश के हैं। अमेरिका में न्यूयार्क स्थित प्रतिष्ठित टाइम्स स्क्वेयर पर पांच अगस्त को भगवान श्रीराम की भव्य तस्वीर और राम मंदिर की 3-डी छवि दिखाई जाएगी। न्यूयार्क के भारत अमरीकी लोक मामलों की समिति के अध्यक्ष जगदीश सेवहानी ने बताया कि उस खास मौके के लिए एक विशाल स्क्रीन और 17 हजार वर्ग फुट की एल.डी. डिस्प्ले स्क्रीन लगाई जा रही है। अयोध्या में आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी द्वारा श्री राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की तस्वीरें प्रदॢशत की जाएंगी। मैं सब भारत वासियों से यह अपील करता हूं कि 5 अगस्त को शिलान्यास के समय सभी भाई-बहन अपने घरों में राम चित्र के सामने पुष्प अर्पण करके इस ऐतिहासिक दिन को अवश्य मनाएं।-शांता कुमार (पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. व पूर्व केन्द्रीय मंत्री)

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