कानूनी मान्यता की बजाय पहले ‘नशों की अवैध खेती’ पर हो प्रहार

Edited By ,Updated: 24 Oct, 2019 02:55 AM

strike first  illegal cultivation of drugs  rather than legal recognition

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में फिर से राज्य की अफसरशाही की ओर से भांग की खेती को मान्यता देने की बात छेड़ दी गई है। हालांकि हिमाचल के ऊपरी जिलों कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर और चंबा में भांग और अफीम की खेती को कानूनी वैधता देने की मांग कभी-कभार बीच-बीच...

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में फिर से राज्य की अफसरशाही की ओर से भांग की खेती को मान्यता देने की बात छेड़ दी गई है। हालांकि हिमाचल के ऊपरी जिलों कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर और चंबा में भांग और अफीम की खेती को कानूनी वैधता देने की मांग कभी-कभार बीच-बीच में उठती आई है लेकिन आज चिट्टे के नशे की आदी हो रही हिमाचल की जवानी को देखते हुए सरकार की ओर से नशे की खेती को मान्यता देने की बात बेमानी होगी। 

उक्त सभी जिलों में हर साल हजारों हैक्टेयर भूमि पर भांग और अफीम की अवैध खेती होती है जिसमें से कुछ को नष्ट करने में सुरक्षा एजैंसियां कामयाब भी होती हैं लेकिन सरकार आज तक उत्पादन और सप्लाई की बनी इस चेन को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर पाई है। सड़क से मीलों दूर ऊंचे पहाड़ों की ओट में देश की जवानी को बर्बाद करने के लिए माफिया हर साल नशे के बीज बो देता है। 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार में इस नशे की खेती को कानूनी मान्यता देने की मांग पिछले साल भी उठी थी। तब खुद मुख्यमंत्री सहित राज्य के कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडा के बयान इसके पक्ष में आए थे लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस सहित राज्य के सामाजिक संगठनों द्वारा हुए विरोध के बाद सरकार ने इस विषय को विराम दे दिया था। उस वक्त उत्तराखंड ने इंडिया इंडस्ट्रीयल हेम्प एसोसिएशन के माध्यम से वहां पायलट प्रोजैक्ट के रूप में 1000 हैक्टेयर भूमि पर कम नशे वाली भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी थी जिससे हिमाचल की नई-नवेली सरकार प्रभावित थी। अब सरकार की ओर से आबकारी एवं कराधान विभाग ने राज्य में भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने संबंधी योजना बनाए जाने की बात छेड़ी है। 

इसमें तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अगले माह होने वाली इंवैस्टमैंट मीट को लेकर कुछ उद्योगपति हिमाचल में भांग की व्यावसायिक खेती करने की इच्छा सरकार से जता चुके हैं। वहीं इसी विभाग ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के वित्त वर्ष 2019-20 की बजट घोषणा में नशे से मुक्ति पाने के लिए प्रस्तावित युवा नव निर्माण बोर्ड का गठन आज तक नहीं किया है। ठीक उसके विपरीत उद्योगपतियों की मांग को देखते हुए भांग की व्यावसायिक खेती को कानूनी मान्यता देने संबंधी योजना बनाने को राज्य के आबकारी एवं कराधान विभाग ने अपनी प्राथमिकता बना लिया है। 

उत्पादन और सप्लाई पर प्रहार 
हिमाचल प्रदेश में भांग और अफीम की अवैध खेती बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। अकेले कुल्लू जिला में ही हर साल 50 हजार एकड़ के करीब भूमि पर भांग की खेती होती है, जबकि मंडी जिला की चौहार घाटी में अफीम की खेती भी होती है। इसी प्रकार से मंडी, शिमला, चंबा और सिरमौर जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रोंं में नशे की प्राप्ति के लिए अवैध रूप से भांग और अफीम उगाई जा रही है। चिट्टा अफीम से बनता है। कुल्लू और मंडी के ऊंचे पहाड़ों में इस सीजन मेंं हजारों बीघा भूमि पर अफीम की खेती होने की सूचनाएं संबंधित एजैंसियों के पास पहुंची थीं। ऊंचे पहाड़ों के बगीचों और वन भूमि पर अफीम की फसल लोगों द्वारा उगाई गई थी। 

इससे पहले भी 2003 में अकेले मंडी जिला की दुर्गम चौहार घाटी में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और पुलिस ने संयुक्त आप्रेशन कर 5 हजार बीघा भूमि पर खड़ी अफीम की फसल नष्ट की थी। तब कई ऊंचे पहाड़ों पर यह टीम नहीं पहुंच सकी थी। उस वक्त भी चौहार घाटी में लगभग 10 हजार बीघा भूमि पर अफीम की खेती होने की सैटेलाइट इमेज से पुष्टि हुई थी। उसके बाद अफीम की खेती को ड्रग माफिया ने मंडी और कुल्लू की सीमा से सटे ऊंचे क्षेत्रों मेंं शिफ्ट कर दिया है। 

हिमाचल सरकार को समय रहते राज्य में अवैध रूप से हो रही नशे की इस खेती को पूरी तरह से बंद करवाना चाहिए। अगर उत्पादन को ही खत्म कर दिया जाए तो नशे से जुड़ी अनेकों समस्याओं का हल हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि भांग की व्यावसायिक खेती को मान्यता देने की बजाय सरकार पहले अपनी बजट घोषणा के अनुसार युवा नव जीवन बोर्ड का गठन करे। 

युवा बन रहे सप्लाई चेन का हिस्सा
हिमाचल प्रदेश में पुलिस ने नशे के खिलाफ कार्रवाई तो तेज कर रखी है लेकिन वह पूरी तरह से खबरियों पर निर्भर है। राज्य में अब चिट्टे के ज्यादा मामले पकड़े जा रहे हैं। स्कूल व कालेजों के विद्यार्थी और बेरोजगार युवा चिट्टे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। लड़कियां भी इस नशे की चपेट में आ रही हैं। चिट्टा माफिया की सक्रियता राज्य के हर छोटे-बड़े शहर और कस्बे में हो चुकी है। यहां तक कि पुलिस द्वारा पिछले कुछ समय से पकड़े जा रहे मामलों में देखने को मिला है कि युवाओं के माध्यम से ही बाहरी राज्यों से हिमाचल प्रदेश में चिट्टा लाया जा रहा है। 

वहीं माफिया पहले युवाओं को चिट्टे की लत लगाता है और फिर उन्हीं युवाओं को अपनी सप्लाई चेन का हिस्सा बना देता है। हालांकि राज्य के पुलिस प्रमुख ने निर्देश जारी किए हैं कि चिट्टे के मामलों में गैर इरादतन हत्या की धारा भी लगाई जाए। जिसके तहत मंडी जिला में ऐसा एक मामला दर्ज भी किया गया है।-डा.राजीव पत्थरिया

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