रैड कारपेट के नीचे का असली ‘सत्य’

Edited By ,Updated: 26 Jan, 2020 03:25 AM

the real truth under the red carpet

जैसे कि आज देश अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है। मुख्य मेहमान तथा विश्व भर से आए नेता रैड कारपेट पर चल रहे होंगे तथा देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक झांकियां भी देख चुके होंगे। मेरी सोच में यह ब्राजील के राष्ट्रपति हैं जो मुख्य मेहमान हैं। उन्होंने रैड...

जैसे कि आज देश अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है। मुख्य मेहमान तथा विश्व भर से आए नेता रैड कारपेट पर चल रहे होंगे तथा देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक झांकियां भी देख चुके होंगे। मेरी सोच में यह ब्राजील के राष्ट्रपति हैं जो मुख्य मेहमान हैं। उन्होंने रैड कारपेट के नीचे हो रही हरकत की तरफ ध्यान दिया। महान भारतीय नेता ने कहा ओह! यह कुछ नहीं। उन्होंने कारपेट के नीचे हो रही हरकत को छिपाने की कोशिश की। एक अन्य देश के प्रमुख ने कहा कि हां, मैं भी देख सकता हूं कि सभी लोग धमकी सह रहे हैं तथा एक नए कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जो कि उनको धर्म के आधार पर बांट देगा। 

इस दौरान महान भारतीय नेता बोले कि आप केवल देश की एकता और अखंडता की खूबसूरत झांकी देखिए। नेता ने अन्य विदेशी नेताओं का भी ध्यान भटका दिया जो कि कारपेट के नीचे होती हरकत को देख रहे थे। फिर एक अन्य विदेशी मेहमान बोल उठा आखिर वो क्या है? ये हमारे राजपूत सैनिक हैं, प्रसन्नचित भारतीय नेता बोला। नहीं, नहीं, वहीं मेहमान फिर से चिल्लाया जो कि राजपूत सैनिकों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था बल्कि वह तो कारपेट के नीचे हो रही हरकत के प्रति चिंतित था। ऐसा लगता है कि देश भर की सभी राज्य सरकारें जिनके पास लोगों का जनादेश है आपके खिलाफ मामले दर्ज करा रही हैं। एक अन्य विदेशी नेता बोला, कारपेट के नीचे से खून बह रहा है। यह शायद कालेज के छात्रों का खून है। महान भारतीय नेता बोला आइए हम झांकियों तथा परेड पर अपना ध्यान केन्द्रित करें। मैंने इन सबको सम्मिलित करने के ऊपर लाखों रुपए खर्च किए हैं। 

महान नेता के लिए परेड ज्यादा महत्वपूर्ण है न कि रैड कारपेट के नीचे क्या घट रहा
ब्राजील के राष्ट्रपति बोले मैं देख सकता हूं कि गुंडे तथा मुखौटाधारी लोग छात्रों को पीट रहे हैं तथा भाग रहे हैं। क्या वे पकड़े गए? महान भारतीय नेता बोला मुझे नहीं पता, मुझे इसकी परवाह नहीं। मेरे लिए परेड ज्यादा महत्वपूर्ण है न कि इस रैड कारपेट के नीचे क्या घट रहा है। एक अन्य राष्ट्र के राष्ट्रपति बोले ओह माई गॉड! यहां पर पूरे देश पर एक मोटा कम्बल फैंका गया है। आप इसे क्यों नहीं उठाते। भारतीय नेता ने सजावट वाले को डांटा जिसने मोटा कारपेट नहीं बिछाया था। टैंक निकलते गए, सैनिक मार्च करते गए और आसमान पर लड़ाकू विमान उड़ान भरते गए। मगर मुख्य मेहमान, गैस्ट आफ ऑनर तथा पूरा विश्व कारपेट के नीचे साम्प्रदायिक हत्याएं, छात्रों पर हमले, बुद्धिजीवियों की हिरासत, इंटरनैट पर बैन तथा नौकरियों, खाने के लिए चिल्लाते लोग देख रहा था। महान भारतीय नेता गरजा और उसने विश्व की तरफ देखा और उनका ध्यान सुंदर प्रदर्शन की तरफ दिलाया। वह बोला- देखो हमारी ताकत देखो! देखो मैंने क्या कुछ किया। 

पूरा विश्व चिल्लाया! हम देख रहे हैं। हम सब देख रहे हैं और सभी चिंतित हैं! ऐसी तोपें, मिसाइलें, सैनिक तथा सैन्य ताकत दिखाने का क्या फायदा जब आप अपने लोगों की आवाज ही नहीं सुन सकते। ऐसी सुंदर सांस्कृतिक झांकियों का क्या फायदा जब आप अपने ही अल्पसंख्यकों को सम्भाल कर नहीं रख सकते। टैंक निकलते गए, सैनिकों के बूटों की आवाज कड़कड़ाती गई, नभ में विमानों की आवाज गरजती गई मगर विश्व मूकदर्शक बनकर देखता रहा कि आखिर रैड कारपेट के नीचे क्या घट रहा है।(यह लेखक की व्यंग्यात्मक टिप्पणी है।)-राबर्ट क्लीमैंट्स
 

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