नववर्ष से जुड़ी अनूठी परम्पराएं

Edited By ,Updated: 01 Jan, 2024 07:13 AM

unique traditions related to new year

नए साल के आगमन की खुशी में लोग नव वर्ष की पूर्व संध्या पर नाचते-गाते हैं और खुशियां मनाते हैं। नाच-गाने का यह सिलसिला घड़ी में रात्रि के 12 बजने अर्थात् नव वर्ष के आरंभ होने तक चलता है और घड़ी की सुइयों द्वारा जैसे ही 12 बजने का संकेत मिलता है...

नए साल के आगमन की खुशी में लोग नव वर्ष की पूर्व संध्या पर नाचते-गाते हैं और खुशियां मनाते हैं। नाच-गाने का यह सिलसिला घड़ी में रात्रि के 12 बजने अर्थात् नव वर्ष के आरंभ होने तक चलता है और घड़ी की सुइयों द्वारा जैसे ही 12 बजने का संकेत मिलता है अर्थात् नया साल दस्तक देता है, चहुं ओर आतिशबाजियों का धूमधड़ाका शुरू हो जाता है और एकबारगी तो यही अहसास होता है कि मानो डेढ़-दो माह बाद एक बार फिर से दीवाली का त्यौहार लौट आया हो। नव वर्ष के प्रथम दिन लोग एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई देते हुए स्वयं के लिए भी कामना करते हैं कि नया साल शुभ एवं फलदायक हो और नव वर्ष में सफलता उनके कदम चूमे। 

दुनिया भर में नव वर्ष का स्वागत बड़ी धूमधाम, उमंग और उल्लास के साथ किया जाता है। अनेक देशों में नववर्ष से जुड़ी अपनी-अपनी परम्पराएं हैं। हमारे देश के विभिन्न प्रांतों में भी नववर्ष का स्वागत अलग-अलग तरीके से किया जाता है लेकिन कई जगह नव वर्ष मनाने की परम्पराएं और रीति-रिवाज इतने विचित्र हैं कि लोग उनके बारे में जानकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। संभवत: दुनिया भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां नव वर्ष एक से अधिक बार और विविध रूपों में मनाया जाता है। हमारे यहां ईस्वी संवत् और विक्रमी संवत् दोनों को ही महत्व दिया जाता है। ईस्वी संवत् के अनुसार नव वर्ष की शुरूआत एक जनवरी को और विक्रमी संवत् के अनुसार नए साल की शुरूआत वैशाख माह के प्रथम दिन से मानी जाती है जबकि इस्लाम में हिजरी संवत् के आधार पर नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है। 

बहरहाल, नव वर्ष मनाने की परम्पराएं चाहे कुछ भी हों, सभी का उद्देश्य एक ही है और वह है नव वर्ष सुख, शांति एवं समृद्धि से परिपूर्ण हो। आइए जानते हैं, भारत के विभिन्न हिस्सों में कैसे मनाया जाता है नव वर्ष। महाराष्ट्र में नव वर्ष के शुभ अवसर पर एक सप्ताह पहले ही घरों की छतों पर रेशमी पताका फहराई जाती है। घरों व दफ्तरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है तथा इस दिन पतंगें उड़ाकर नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। बिहार में नव वर्ष के मौके पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। गरीब बच्चों को कपड़े तथा चावल का दान किया जाता है ताकि वर्ष भर घरों में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रही। असम में नव वर्ष की यादगार बेला में घर के आंगन में मांडणे (रंगोली) सजाए जाते हैं तथा दीप या मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। गाय को रोटी और गुड़ खिलाया जाता है ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे। 

केरल में नव वर्ष के अवसर पर नीम व तुलसी की पत्तियां तथा गुड़ खाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इनको खाने से शरीर साल भर तक स्वस्थ बना रहता है। राजस्थान में नव वर्ष के विशेष अवसर पर गुड़ से बने पकवान खाना बहुत शुभ माना जाता है ताकि वर्ष भर मुंह से मधुर बोली ही निकलती रहे। मणिपुर में इस दिन तरह-तरह की आतिशबाजी की जाती है तथा अनेक स्थानों पर भूत-प्रेतों के पुतले बनाकर भी जलाए जाते हैं ताकि भूत-प्रेत किसी को नुकसान न पहुंचा सकें। 

छत्तीसगढ़ में यहां के आदिवासी तरह-तरह के गीत गाकर नव वर्ष का स्वागत करते हैं। इस दिन यहां बच्चों को गोद लेने की प्रथा भी है ताकि वर्ष का प्रत्येक दिन खुशियों से भरा रहे। राज्य के कुछ आदिवासी इलाकों में फसल में महुआ के फूल दिखाई देने पर आदिवासी उत्सव मनाया जाता है, जो उनके नव वर्ष का प्रारंभ माना जाता है। देश के कई अन्य आदिवासी इलाकों में उनके देवी-देवताओं के आराधना पर्वों के हिसाब से नव वर्ष की शुरूआत मानी जाती है। जम्मू-कश्मीर में नव वर्ष के उपलक्ष्य पर अनाथ बच्चों को भरपेट भोजन कराकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं और उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ व्यतीत हो सके। 

नागालैंड के नागा आदिवासी नाग पंचमी के दिन से ही अपने नव वर्ष की शुरूआत करते हैं। कृषि प्रधान राज्यों पंजाब तथा हरियाणा में यूं तो आजकल एक जनवरी को ही नववर्ष धूमधाम से मनाया जाता है किन्तु यहां नई फसल का स्वागत करते हुए नववर्ष वैसाखी के रूप में भी मनाया जाता है। व्यापारी समुदाय के लोग अपने आर्थिक हिसाब-किताब की दृष्टि से दीवाली से ही नववर्ष की शुरूआत मानते हैं जबकि वित्तीय आधार पर शासकीय नववर्ष की शुरूआत एक अप्रैल से होती है।-श्वेता गोयल

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