दशहरे पर हवाई किराया 5 साल में सबसे कम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Oct, 2018 01:02 PM

airlines cut festive fares risk margins

एयरलाइन और ट्रैवल कंपनियों के एग्जिक्युटिव्स ने बताया कि दशहरा की छुट्टियों और बाद के दिनों के हवाई किराए 5 साल में सबसे कम हैं।

नई दिल्लीः एयरलाइन और ट्रैवल कंपनियों के एग्जिक्युटिव्स ने बताया कि दशहरा की छुट्टियों और बाद के दिनों के हवाई किराए 5 साल में सबसे कम हैं। यात्रियों के लिए यह अच्छी खबर है ही इसके साथ ही एयरलाइंस का हाल और बुरा होने वाला है। यह तब हो रहा है, जब एयरलाइन कंपनियां लगातार बढ़ती लागत, बेलगाम कैपेसिटी एडिशन और कमजोर मार्जिन से परेशान हैं। 

एक डोमेस्टिक एयरलाइन कंपनी के सीनियर एग्जिक्युटिव ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, 'बहुत ज्यादा कैपेसिटी, इकनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती/लोगों में खर्च कम करने की चाहत के चलते ज्यादातर रूट पर यील्ड (प्रति पैसेंजर प्रति किलोमीटर औसत किराया) पिछले साल से बहुत कम रहेगी।' 

उन्होंने कहा कि यील्ड 2013 के बाद सबसे निचले लेवल पर रहेगी और रेवेन्यू पर अवेलेबल सीट किलोमीटर (RASK) 20 फीसदी तक कम होगी। RASK टोटल ऑपरेटिंग इनकम में अवेलेबल सीट किलोमीटर यानी ASK से भाग देकर निकाला जाता है। एयरलाइन इंडस्ट्री की यूनिट कॉस्ट CASK कहलाती है। 

ASK हर प्लेन में अवेलेबल सीटों के साथ उड़ान के दौरान प्लेन द्वारा किलोमीटर में तय की जाने वाली दूरी से गुना करके निकाला जाता है। देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल मेकमायट्रिप के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि दशहरा वाले वीकेंड के लिए एडवांस परचेज फेयर पिछले साल से 15 फीसदी कम है। इसके चलते बुकिंग में तेज उछाल आई है। 

क्लियरट्रिप के एयरलाइन बिजनस हेड बालू रामचंद्रन ने कहा, 'नवरात्र में बड़े शहरों के लिए हुई फ्लाइट बुकिंग शानदार रही है। बेंगलुरु, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में बुकिंग ग्रोथ (12-14% की रेंज में) सबसे ज्यादा रही है। दुर्गा पूजा के चलते कुल बुकिंग के लिहाज से कोलकाता नंबर वन डेस्टिनेशन रहा है। पुणे और दिल्ली के लिए बुकिंग ठीक-ठाक बनी हुई है।' 

उन्होंने कहा, 'दशहरा के लिए (सेक्टर और टाइमलाइन का) ब्लेंडेड एवरेज फेयर अभी 4108 रुपए है, जो पिछले साल यह 4428 रुपए था। इस हिसाब से इस साल इसमें औसत 7 फीसदी की कमी आई है।' उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एयर फेयर बढ़ सकता है, लेकिन एयरलाइन कंपनियों के पास अपने हिसाब से किराया तय करने की ज्यादा सहूलियत नहीं होगी। 

रामचंद्रन के मुताबिक इसके बावजूद वॉल्यूम में बढ़ोतरी और किराए में उछाल इतनी नहीं होगी कि उससे कॉस्ट में बढ़ोतरी की भरपाई हो जाए। ऐसे में एयरलाइन कंपनियों के मार्जिन में गिरावट आ सकती है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह ओवरकैपेसिटी है। पिछले साल डोमेस्टिक एयरलाइन इंडस्ट्री के बेड़े में कुल 88 प्लेंस जुड़े थे जबकि इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच 46 प्लेंस ऐड हुए जबकि मार्च तक 90 और प्लेंस आएंगे। 

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