जीआई की लड़ाई से बासमती की मुसीबत आई

Edited By ,Updated: 12 Jan, 2015 11:18 AM

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कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास एजैंसी (एपीडा) बासमती चावल के लिए जल्द से जल्द भौगोलिक चिह्न (जीआई) का पंजीकरण कराना चाहती है

नई दिल्लीः कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास एजैंसी (एपीडा) बासमती चावल के लिए जल्द से जल्द भौगोलिक चिह्न (जीआई) का पंजीकरण कराना चाहती है, लेकिन एजेंसी की मध्य प्रदेश की कंपनियों और किसानों के साथ कानूनी लड़ाई के कारण इसमें देरी हो रही है। वहीं, पाकिस्तान के बासमती चावल उत्पादक संघ ने भी एपीडा के इस प्रयास को चुनौती दी है। एपीडा के प्रतिनिधियों ने कहा कि जीआई पंजीकरण को 'राष्ट्रीय हित' के नजरिए से देखा जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान भी बासमती पर अपना दावा कर रहा है। एपीडा और मध्य प्रदेश सरकार एवं उत्पादकों के बीच विवाद यह है कि क्या जीआई रजिस्ट्री में शामिल करने के लिए इन हिस्सों में उगाए जाने वाले बासमती में उत्तराखंड के मूल बासमती चावल के गुण हैं। एजैंसी ने जीआई पंजीकरण आदेश को बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) में चुनौती दी है। एजेंसी ने आईपीएबी से मध्य प्रदेश में कुछ हिस्सों सहित शामिल नहीं किए गए हिस्सों के पंजीकरण के आवेदन को संशोधित करने को कहा है।

यह कानूनी लड़ाई चेन्नई के आईपीएबी में चल रही है। जीआई पंजीकरण से संबंधित विभिन्न अपील और याचिकाएं आई हैं, लेकिन इसके खिलाफ मध्य प्रदेश स्थित न्यू दर्पण सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान आईपीएबी के चेयरमैन के एन बाशा और तकनीकी सदस्य (ट्रेड माक्र्स) संजीव कुमार चासवाल ने फरवरी के अंतिम सप्ताह में मामले की सुनवाई करने की घोषणा की। बोर्ड इस मामले से संबंधित 9 आवेदनों में से छह की सुनवाई कर चुका है। इसे पाकिस्तान के बामसती उत्पादक संघ और इस कारोबार से जुड़ी एक प्रमुख कंपनी दावत फूड्स के आवेदनों की सुनवाई करनी होगी।

एपीडा के निदेशक ए के गुप्ता ने कहा, 'अन्य के दावा करने से पहले हमारे लिए बासमती के लिए जीआई लेना आवश्यक है। यह वैश्विक नजरिये से भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय हित से जुड़ा है।' उन्होंने कहा कि अगर हर कोई दावा करने लगा और उत्पादन करने लगा तो इससे बाजार में अति आपूर्ति की स्थिति पैदा हो जाएगी। इसका किसानों पर असर पड़ेगा। एपीडा जम्मू-कश्मीर के दो जिलों, अविभाजित पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में उगाए जाने वाले बासमती के समर्थन में है। एपीडा के वकील ने सोमवार को आईपीएबी में कहा, 'हम भारत में जीआई पंजीकरण के लिए थोड़ी जल्दी में हैं।'

विशेषज्ञों ने कहा कि अगर एपीडा मध्य प्रदेश को शामिल करता है तो अन्य क्षेत्र भी यह दावा करेंगे। इससे जीआई कमजोर होगा। पाकिस्तान के दावे में कहा गया है, 'बासमती पाकिस्तान में हिमालय की तलहटी में एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में उगाई जाने वाले पतले, सुगंधित एवं लंबे चावल की किस्म है।' तीन वर्षों पहले यह प्रस्ताव रखा गया था कि भारत और पाकिस्तान दोनों जीआई के लिए आवेदन करेंगे, लेकिन विभिन्न राजनीतिक एवं कानूनी वजहों से यह योजना रद्द कर दी गई।

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