2000 के नोट पर बैन से इकोनॉमी होगी ‘सुपर चार्ज’, एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा

Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Jun, 2023 01:18 PM

ban on 2000 note will super charge the economy

भारतीय रिजर्व बैंक का 2000 रुपए के नोट को बंद करने का फैसला देश की इकोनॉमी में नई जान फूंक सकता है. ये हम नहीं बल्कि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की एक रिपोर्ट कहती है।

बिजनेस डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक का 2000 रुपए के नोट को बंद करने का फैसला देश की इकोनॉमी में नई जान फूंक सकता है. ये हम नहीं बल्कि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की एक रिपोर्ट कहती है।  केंद्रीय बैंक का ये कदम कई पैरामीटर्स पर इकोनॉमी को ‘सुपर चार्ज’ कर सकता है। एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने हाल में आई इकोरैप रिपोर्ट में कहा है कि 2000 रुपये के नोट बंद किए जाने या वापस लिए जाने के कई फायदे होंगे। ये तत्काल प्रभाव से बाजार में कंजप्शन डिमांड बढ़ा सकता है। इतना ही नहीं इससे बैंकों के डिपॉजिट में बढ़ोतरी होने, लोगों का लोन वापस करने, बाजार में उपभोग बढ़ने और आरबीआई के डिजिटल करेंसी के उपयोग को बूस्ट मिल सकता है, ये कुल मिलाकर देश की इकोनॉमी के लिए बेहतर होगा। 

 

पहली तिमाही में वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद

देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.1 प्रतिशत हो जाएगी और समूचे वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत वृद्धि का आरबीआई का अनुमान भी पीछे छूट सकता है। एसबीआई की रिपोर्ट कहती है, ‘‘हम 2000 रुपए के नोट वापस लेने के प्रभावों की वजह से अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद करते हैं। यह हमारे उस अनुमान की पुष्टि करता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि आरबीआई के अनुमान 6.5 प्रतिशत से अधिक रह सकती है।'' आरबीआई ने जून महीने की शुरुआत में कहा था कि 2,000 रुपए मूल्य वर्ग के आधे से अधिक नोट वापस आ चुके हैं। इनमें से 85 प्रतिशत नोट बैंकों में जमा के रूप में आए थे जबकि 15 प्रतिशत नोट बैंक काउंटरों पर अन्य मूल्य के नोट से बदले गए थे। 

 

55,000 करोड़ रुपए निकासी के बाद बाजार में खर्च होंगे

एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2,000 रुपये के नोट के रूप में कुल 3.08 लाख करोड़ रुपए प्रणाली में जमा के रूप में लौटेंगे। इनमें से करीब 92,000 करोड़ रुपए बचत खातों में जमा किए जाएंगे जिसका 60 प्रतिशत यानी करीब 55,000 करोड़ रुपये निकासी के बाद लोगों के पास खर्च के लिए पहुंच जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, खपत में गुणक बढ़ोतरी की वजह से लंबे समय में यह कुल बढ़ोतरी 1.83 लाख करोड़ रुपये तक रह सकती है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नोट वापस लेने के आरबीआई के कदम से मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों को मिलने वाले दान में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसके अलावा टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं और बुटीक फर्नीचर की खरीद को भी बढ़ावा मिलेगा।
 

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