बैंकों के पास अभी भी ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश: दास

Edited By ,Updated: 05 May, 2017 05:23 PM

banks still have the scope for reduction in interest rates  das

भारत में बैंकों के पास अभी भी कर्ज पर ब्याज दरें कम करने की गुंजाइश है।

नई दिल्ली: भारत में बैंकों के पास अभी भी कर्ज पर ब्याज दरें कम करने की गुंजाइश है। नोटबंदी के बाद बैंकों में पहुंची भारी नकदी का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए बैंकों को ब्याज दर में और कटौती करनी चाहिए। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने आज यह बात कही।

GDP 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
सरकार द्वारा पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 रुपए के नोटों को चलन से हटा लेने के बाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोट बैंकों में जमा हुए। इससे भारी नकदी बैंकिंग तंत्र में पहुंच गई। रिजर्व बैंक ने भी जनवरी 2015 से अब तक प्रमुख नीतिगत दर में 1.5 प्रतिशत कटौती की है। इससे बैंकों की धन की लागत में काफी कमी आई है। दास ने यहां एशियाई विकास बैंक (ए.डी.बी.) की 50वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का असर कुछ समय के लिए ही रहा और चालू वित्त वर्ष में यह नहीं होगा। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) वृद्धि वर्ष 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

और ज्यादा कटौती होने की उम्मीद
दास ने कहा, ‘‘नोटबंदी का असर सीमित समय के लिए रहा और चालू वित्त वर्ष में इसका असर नहीं है। नोटबंदी के बाद दरें कम हुई हैं, दरों में और कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। मुझे उम्मीद है कि और कटौती होगी। हमें ऋण चक्र में फिर से तेजी आने के संकेत दिखने लगे हैं।’’ नोटबंदी के बाद बैंकों ने ब्याज दरों में 0.60 से 0.75 प्रतिशत तक कटौती की है, लेकिन जमीन पर फिलहाल दर कटौती का असर नहीं दिखाई दिया है। नोटबंदी के बाद भारी मात्रा में नकदी आने से बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में कटौती की है। 

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