बैंकों से दूर रहें बड़ी कंपनियां, जानें उदय कोटक ने क्यों कही यह बात

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Dec, 2023 06:26 PM

big companies should stay away from banks know why uday kotak

देश के सबसे अमीर बैंकर और कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने सालाना 9 फीसदी की ग्रोथ हासिल करने और 2047 तक भारत को 30 अरब डॉलर की इकॉनमी बनाने के लिए बड़ी कंपनियों को बैंकों से दूर रहना चाहिए। उनका कहना है कि सेवर्स के इन्वेस्टर्स बनने से...

बिजनेस डेस्कः देश के सबसे अमीर बैंकर और कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने सालाना 9 फीसदी की ग्रोथ हासिल करने और 2047 तक भारत को 30 अरब डॉलर की इकॉनमी बनाने के लिए बड़ी कंपनियों को बैंकों से दूर रहना चाहिए। उनका कहना है कि सेवर्स के इन्वेस्टर्स बनने से बैंकिंग सेक्टर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोटक ने कहा कि हमें 1980 के दशक के जापान को ध्यान में रखने की जरूरत है। जापान की इकॉनमी एक समय रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही थी लेकिन 1980 के दशक से इसमें ठहराव की स्थिति बनी हुई है।

कोटक ने साल खत्म होने के मौके पर ट्वीट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, 'सेवर्स के इन्वेस्टर्स बनने से बैंकिंग सेक्टर को डिपॉजिट्स और कॉस्ट ऑफ फंड्स के मामले में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लार्ज कॉरपोरेट सेक्टर को कैपिटल मार्केट्स की तरफ जाने और बैंकों से दूर हटने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि बैंक स्टोरेज हाउस बनने के बजाय कॉरपोरेट डेट के डिस्ट्रीब्यूटर बन जाएंगे। उन्हें मझोली कंपनियों, एमएसएमई और उपभोक्ताओं के बीच बैठ बनाने की जरूरत होगी। उन्होंने साथ ही कहा कि हमें 1980 के दशक की जापान की स्थिति दिमाग में रखने की जरूरत है।

जापान में ठहराव

कोटक ने कहा कि हमें मार्केट्स बबल्स से सावधान रहने की जरूरत है। जापान के निक्कई इंडेक्स में पिछले 34 साल से आए ठहराव का हवाला देते हुए कहा कि इस स्थिति से बचने के लिए हमें नीतियों, नियमों, शिक्षा और हाई क्वालिटी इन्वेस्टमेंट की सप्लाई पर जोर दिया है। उन्होंने साथ ही डिविडेंड पर डबल टैक्सेशन की समीक्षा करने की अपील की। साथ ही मार्केट ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए डेट और इक्विटी टैक्स रेट के बीच अंतर को कम करने पर जोर दिया।कोटक ने कहा कि एक्विजिशन के लिए फाइनेंसिंग, IBC और NCLT की प्रक्रिया को व्यवस्थित करना बेहद जरूरी है। साथ ही देश को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स और रेगुलेटरी व्यवस्था से बचने की जरूरत है।

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