Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Aug, 2021 11:42 AM
कार विनिर्माताओं के लिए त्योहारी सीजन का मतलब मुख्य रूप से आकर्षक उपभोक्ता पेशकशों के जरिए बिक्री को बढ़ाना और नकदी की आवक लगातार जारी रहना होता है। हालांकि तगड़ी मांग के बावजूद यह साल अलग हो सकता है। दुनिया भर में चिप की किल्लत है। इससे उत्पा
बिजनेस डेस्कः कार विनिर्माताओं के लिए त्योहारी सीजन का मतलब मुख्य रूप से आकर्षक उपभोक्ता पेशकशों के जरिए बिक्री को बढ़ाना और नकदी की आवक लगातार जारी रहना होता है। हालांकि तगड़ी मांग के बावजूद यह साल अलग हो सकता है। दुनिया भर में चिप की किल्लत है। इससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है लेकिन मांग तगड़ी बनी हुई है। यह मांग आगामी महीनों में और बढ़ने के आसार हैं, जिससे मांग और आपूर्ति में अंतर और बढ़ सकता है और कार मॉडलों के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है। इसका यह भी मतलब है कि छूट और मुफ्त उपहार समेत उपभोक्ता पेशकश भी गायब रहेंगी।
कार कंपनियों के डीलरों और अधिकारियों ने कहा कि इस समय खरीदारों को अपनी पसंदीदा कार घर लाने के लिए डेढ़ से तीन या चार महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है, जो कार के मॉडल और शहर पर निर्भर करता है। यह इंतजार अगले कैलेंडर वर्ष में बढ़कर छह से नौ महीने तक पहुंच सकता है।
क्या कहा मारुति सुजूकी
मारुति सुजूकी में कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशंक श्रीवास्तव ने कहा, 'इस साल चिप की किल्लत खेल बिगाड़ सकती है। तीसरी लहर के डर और आगामी सप्ताह में मॉनसून में संभावित कमी से भी त्योहारी मांग सुस्त रह सकती है।' उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में ओणम से सीजन की अच्छी शुरुआत हुई है। कार बाजार की इस अगुआ के पास रोजाना औसतन 800 कार की बुकिंग आ रही हैं, जो पिछले साल 500 ही थीं लेकिन अब भी यह आंकड़ा 2019 में रोजाना 1,000 कार बुकिंग की तुलना में है।
मारुति की कारों के लिए इंतजार का औसत समय तीन सप्ताह से आठ महीने तक है, जो ईंधन के प्रकार, वैरिएंट और शहर पर निर्भर करता है लेकिन नवरात्रि और दीवाली से पहले यह इंतजार और लंबा हो सकता है क्योंकि खरीदार इस अवधि को वाहनों की डिलिवरी के लिए शुभ मानते हैं। सभी कार कंपनियों सालाना बिक्री में एक हिस्सा नवरात्रि से लेकर दीवाली तक के सीजन में बिकता है।