Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Dec, 2023 06:28 PM
देश के चालू खाते के घाटे (कैड) में कमी आई है। यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक प्रतिशत यानी 8.3 अरब डॉलर रहा है। मुख्य रूप से वस्तु व्यापार का घाटा कम होने तथा सेवा निर्यात बढ़ने से चालू खाते का घाटा कम...
मुंबईः देश के चालू खाते के घाटे (कैड) में कमी आई है। यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक प्रतिशत यानी 8.3 अरब डॉलर रहा है। मुख्य रूप से वस्तु व्यापार का घाटा कम होने तथा सेवा निर्यात बढ़ने से चालू खाते का घाटा कम हुआ है। चालू खाते का घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 3.8 प्रतिशत यानी 30.9 अरब डॉलर रहा था।
कैड मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में 9.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 प्रतिशत था। भारत के चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन की स्थिति पर जारी आंकड़ों के अनुसार, ‘‘कैड चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में कम हुआ है। इसका कारण वस्तु व्यापार घाटे (वस्तु निर्यात-आयात का अंतर) का कम होना है। यह 2023-24 की दूसरी तिमाही में 61 अरब डॉलर रहा जो 2022-23 की दूसरी तिमाही में 78.3 अरब डॉलर था।'' रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सॉफ्टवेयर निर्यात, व्यापार और यात्री सेवाएं बढ़ने से सेवा निर्यात सालाना आधार पर 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा। शुद्ध सेवा प्राप्तियां तिमाही और सालाना आधार दोनों स्तर पर बढ़ी हैं।