बैंक धोखाधड़ी: ईडी ने भूषण पावर ऐंड स्टील की 4,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Oct, 2019 05:07 PM

ed attaches assets worth over rs 4 000 crore of bpsl in bank fraud case

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक लोन डिफॉल्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की 4,025 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है। ईडी ने शनिवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय जांच एजेंसी

नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक लोन डिफॉल्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की 4,025 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है। ईडी ने शनिवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि उसने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के तहत ओडिशा में कंपनी की जमीन, इमारत, संयंत्र और मशीनरी कुर्क की है।

एजेंसी के इस अस्थायी आदेश के तहत कुल 4,025.23 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गई है। इस मामले में यह कुर्की की पहली कार्रवाई है। आगे और कार्रवाई की जा सकती है। प्रवर्तन निदेशालय ने बयान में आरोप लगाया कि भूषण पावर ऐंड स्टील ने विभिन्न बैंकों से लिए कर्ज की राशि का हेरफेर करने के लिए कई तरीके अपनाए। इसमें कहा गया है कि कंपनी के तत्कालीन सीएमडी संजय सिंघल और उनके परिवार के सदस्यों ने भूषण पावर ऐंड स्टील में पूंजी के रूप में 695.14 करोड़ रुपए दिखाए। यह राशि बीपीएसएल के बैंक ऋण का दुरुपयोग कर कृत्रिम तौर पर सृजित दीर्घकालिक पूंजी प्राप्ति में से पेश की गई। जब यह राशि दिखाई गई तब दीर्घकालिक पूंजीगत प्राप्ति को आयकर से छूट प्राप्त थी।

ईडी ने कंपनी, सिंघल और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग (धनशोधन) का मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने कहा कि बीपीएसएल ने पूंजीगत वस्तुओं की फर्जी खरीद दिखाकर विभिन्न इकाइयों को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया।

ईडी ने कहा कि आरटीजीसी भुगतान के बदले में इन इकाइयों ने बीपीएसएल को नकदी हस्तांतरित की। इस राशि का उपयोग आपसी तालमेल के जरिए शेयरों के सौदे कर कंपनी के शेयरों का दाम बढ़ाकर उससे कृत्रिम तौर पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ सृजित किया गया। प्रवर्तक कंपनियों द्वारा 3,330 करोड़ रुपए की अन्य राशि का इक्विटी निवेश दिखाया गया। यह भी विभिन्न बैंक ऋणों से प्राप्त राशि के जरिए किया गया। बैंक ऋण से प्राप्त इस धन को बीपीएसएल के खातों से विभिन्न मुखौटा कंपनियों को दिए गए अग्रिम के रूप में दिखाया गया। इन कंपनियों को एंट्री ऑपरेटरों द्वारा चलाया जाता था।

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