Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Nov, 2023 05:50 PM
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है लेकिन अपनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त रोजगार पैदा करने के लिए उसे 8% से अधिक तेजी से बढ़ना होगा।
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है लेकिन अपनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त रोजगार पैदा करने के लिए उसे 8% से अधिक तेजी से बढ़ना होगा।
रघुराम राजन का सुझाव है कि भारत को जनसंख्या की नौकरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 8%-8.5% की विकास दर का लक्ष्य रखना चाहिए। हालांकि अन्य देशों की तुलना में 6%-6.5% की वृद्धि अच्छी है लेकिन राजन को लगता है कि यह भारत के लिए अपेक्षाकृत धीमी है, जहां एक बड़ी युवा आबादी को रोजगार की जरूरत है।
भारत की अर्थव्यवस्था अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेजी से बढ़ रही है, लेकिन देश सालाना वर्कफोर्स में शामिल होने वाले लाखों लोगों के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में कुल बेरोजगारी दर 10.05% तक पहुंच गई, जो दो सालों में सबसे अधिक है।
भारत को अगले दशक में 7 करोड़ नई नौकरियां पैदा करनी होंगी
HSBC का अनुमान है कि भारत को अगले दशक में 7 करोड़ नई नौकरियां पैदा करनी होंगी। यहां तक कि 7.5% की विकास दर के साथ भी, इस रोजगार चुनौती का केवल दो-तिहाई समाधान ही किया जा सकेगा।
आगामी चुनावों में तीसरे कार्यकाल का लक्ष्य लेकर चल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उच्च बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं। उनका प्रशासन इस साल के अंत तक 10 लाख सरकारी नौकरियां पैदा करने के वादे के तहत जॉब अपॉइंटमेंट लेटर वितरित करके इस मुद्दे को हल करने के लिए काम कर रहा है।
वर्कफोर्स को ट्रेन करने पर फोकस करे भारत
राजन के मुताबिक, भारत को चीन और वियतनाम जैसे स्किल्ड मैन्युफैक्चरिंग देशों के साथ कंपटीशन करने के लिए अपनी वर्कफोर्स को ट्रेन करने पर फोकस करना चाहिए। जबकि भारत प्रगति कर रहा है, खासकर आईफोन पार्ट्स के प्रोडक्शन में, राजन का मानना है कि देश को कंपलीट सेल फोन बनाने से पहले अभी भी काफी दूरी तय करनी है।
राजन ने कहा कि भारत महामारी से उबर रहा है और स्थाई तौर पर विकास कर रहा है। उन्होंने इस वृद्धि का श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ते सरकारी खर्च, बैलेंस शीट को साफ करने के प्रयासों और अपर मिडिल क्लास की मांग को दिया। हालांकि, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत चिप निर्माण इनोवेशन में चीन से काफी पीछे है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी होने की संभावना है और मंदी की भी आशंका है।