Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Mar, 2018 03:10 PM
यात्रियों की सुविधा के लिए रेल मंत्रालय की ओर से नई सुविधा शुरू की गई है। नई सुविधा के तहत रेलवे अधिकारियों के लिए प्रयोग होने वाले रेलवे सैलून अब आम यात्रियों के लिए भी उपलब्ध होंगे। आई.आर.सी.टी.सी. ने इस तरह की पहली सेवा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन...
नई दिल्लीः यात्रियों की सुविधा के लिए रेल मंत्रालय की ओर से नई सुविधा शुरू की गई है। नई सुविधा के तहत रेलवे अधिकारियों के लिए प्रयोग होने वाले रेलवे सैलून अब आम यात्रियों के लिए भी उपलब्ध होंगे। आई.आर.सी.टी.सी. ने इस तरह की पहली सेवा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से शुरू की है। निजी यात्री द्वारा जम्मू मेल में बुक कराया गया पहला सैलून वैष्णो देवी कटरा की यात्रा पर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया।
2 लाख में बुक कराया सैलून
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे सैलून में यात्रा कर रहे परिवार ने इसकी बुकिंग आई.आर.सी.टी.सी. से 2 लाख रुपए में 6 यात्रियों के लिए बुक कराया गया था। जो 4 दिन की यात्रा पर निकले हैं। रेलवे की तरफ से अधिकारियों के लंबे रूट पर यात्रा करने के लिए इन सैलून को अंग्रेजों के समय में तैयार किया गया था। इसमें चलते-फिरते लग्जरी होटल की तरह सुविधाएं होती है। इसमें हर बेडरूम में अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम होते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति कर चुके हैं यात्रा
बता दें कि सैलून ब्रिटिश काल में जब रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी, तो दूरदराज के इलाकों में ठहरने की व्यवस्था नहीं होती थी। उस वक्त अधिकारियों के ठहरने के लिए ट्रेन में ही स्पेशल डिब्बों का इंतजाम किया जाता था, इन डिब्बों को ही सैलून कहा जाता है। आज भी ये सुविधा रेलवे अधिकारियों को दी जाती है।
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने साल 2006 में इससे आखिरी यात्रा की थी। रेलवे सैलून में पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ एस राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, वीवी गिरि और डॉ एन संजीव रेड्डी ने तक यात्रा कर चुके हैं।
क्या हैं सैलून कोच?
- रेलवे के सैलून कोच उसके वरिष्ठ अफसरों के लिए होते हैं।
- वे हादसे वाली जगह या दूर-दराज के इलाकों में जांच पर जाने के लिए इन कोच का इस्तेमाल करते हैं।
- देश के सभी रेलवे जोन में मौजूद सलून को मिलाकर ऐसे कुल 336 कोच हैं।
- इनमें से 62 वातानुकूलित हैं।