Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 12:09 PM
वित्त वर्ष 2018-19 का बजट राजकोषीय मजबूती व वृद्धि के बीच संतुलन स्थापित करने वाला है और राजकोषीय घाटे को सीमित करने की राह से छोटे-मोटे भटकाव का अर्थव्यवस्था की कुल ताकत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वैश्विक रेटिंग एजैंसी मूडीज ने यह राय जताई है।
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2018-19 का बजट राजकोषीय मजबूती व वृद्धि के बीच संतुलन स्थापित करने वाला है और राजकोषीय घाटे को सीमित करने की राह से छोटे-मोटे भटकाव का अर्थव्यवस्था की कुल ताकत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वैश्विक रेटिंग एजैंसी मूडीज ने यह राय जताई है। सरकार ने 2018-19 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढ़कार 3.3 प्रतिशत कर दिया है जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। मूल लक्ष्य क्रमश: 3 और 3.2 प्रतिशत का था।
मूडीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-वरिष्ठ क्रैडिट अधिकारी विलियम फॉस्टर ने कहा, ‘‘संशोधित राजकोषीय मजबूती का लक्ष्य पिछली रूपरेखा से कुछ अधिक है लेकिन इससे भारत की कुल राजकोषीय मजबूती पर असर नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कर्ज से जी.डी.पी. अनुपात को घटाकर 40 प्रतिशत पर लाने के मध्यम अवधि का लक्ष्य सॉवरेन क्रैडिट परिदृश्य की दृष्टि से सकारात्मक है।
मूडीज ने बयान में कहा कि मार्च, 2019 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए भारत के बजट में राजकोषीय मजबूती और वृद्धि के बीच संतुलन बैठाने का प्रयास किया गया है। मूडीज के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ विश्लेषक जॉय रैकोथगे ने कहा कि इस बजट से कार्पोरेट क्षेत्र के साथ बीमा क्षेत्र को भी फायदा होगा। मूडीज का अनुमान है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने में सफल रहेगी।