छोटे भाई अनिल को फिर बचाएंगे मुकेश अंबानी, दिवालिया हो रही RCom को खरीद सकती है RIL

Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Jul, 2019 05:23 PM

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रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को खरीदने की योजना बना रहे हैं। बतां दें कि रिलायंस कम्युनिकेशंस को दिवालिया कानून के तहत नीलाम किया जा रहा है।

नई दिल्लीः रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को खरीदने की योजना बना रहे हैं। बतां दें कि रिलायंस कम्युनिकेशंस को दिवालिया कानून के तहत नीलाम किया जा रहा है। जिसके लिए मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई है और ऐसी खबरे हैं कि कंपनी जल्द ही रिलायंस कम्युनिकेशंस की नीलामी प्रक्रिया में शामिल हो सकती है।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'यह खरीद अंबानी बंधुओं के लिए दो तरीके से महत्वपूर्ण है। आरकॉम के स्पेक्ट्रम और टावर हासिल करने से रिलायंस जियो की सेवाओं में मजबूती आएगी जो कि अब 5जी शुरू करने की तैयारी कर रही है। दूसरी तरफ, दिवालिया कंपनी की नवी मुंबई में काफी जमीनें हैं (धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी या डीएकेसी जिसे धीरूभाई ने 90 के दशक में हासिल किया था)।'

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आरकाॅम पर है 46 हजार करोड़ का कर्ज
गौरतलब है कि डिफाल्ट के समय रिलायंस कम्युनिकेशंस के पास कुल 46 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। सूत्रों के अनुसार, जियो ने अपने फाइबर और टावर कारोबार को दो इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्टों को सौंप दिया है और अपने कर्ज में भी कटौती की ताकि आरकॉम की खरीद और 5जी निवेश के लिए जगह बनाई जा सके। जियो का कानूनी विभाग आरकॉम की दिवालिया प्रक्रिया पर गहराई से नजर रखे हुए है।

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आरकॉम से मुकेश का भी भावनात्मक रिश्ता
इसके पहले मार्च में अचानक सबको चौंकाते हुए मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई अनिल को जेल जाने से बचाया था और 580 करोड़ रुपए का भुगतान किया था, जो कि अनिल की कंपनी को स्वीडन की कंपनी एरिक्सन को चुकाना था। आरकॉम का मुकेश अंबानी परिवार के साथ भी भावनात्मक रिश्ता है, क्योंकि इसकी शुरुआत अविभाजित परिवार द्वारा पिता धीरूभाई अंबानी के सपने को पूरा करने के लिए 2000 के दशक में की गई थी।

जियो अब भी मुंबई सहित देश के 21 सर्किल में 850 मेगाहर्ट्ज बैंड में आरकॉम के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है। डिफाल्ट होने से पहले आरकॉम ने अपने 850 मेगाहर्ट्ज बैंड के 122.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम जियो को बेचने के लिए 7,300 करोड़ रुपए की एक डील भी की थी लेकिन संचार मंत्रालय से इसकी इजाजत न मिलने की वजह से सौदा रद्द करना पड़ा।

इसके पहले आरकॉम अपने स्विचिंग नोड और फाइबर को 5,000 करोड़ रुपए में बेचने का सौदा कर चुकी है। आरकॉम ने अपना रियल एस्टेट कारोबार पहले कनाडा की कंपनी ब्रूकफील्ड को बेचेन का प्लान बनाया था।

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