जैव विविधता संरक्षण कानून कृषि के रास्ते की अड़चन न बनें: मोदी

Edited By ,Updated: 06 Nov, 2016 06:16 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ पौध तथा पशु प्रजातियों के विलुप्त होने पर चिंता जताते हुए आज कहा कि कृषि जैव विविधता के संरक्षण के वैश्विक कानूनों को इस तरह से सुसंगत बनाने की जरूरत है कि इससे विकासशील देशों की वृद्धि के रास्ते में अड़चन न आने पाए।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ पौध तथा पशु प्रजातियों के विलुप्त होने पर चिंता जताते हुए आज कहा कि कृषि जैव विविधता के संरक्षण के वैश्विक कानूनों को इस तरह से सुसंगत बनाने की जरूरत है कि इससे विकासशील देशों की वृद्धि के रास्ते में अड़चन न आने पाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सतत विकास की कीमत पर नहीं होना चाहिए।   

राजधानी में पहली अंतर्राष्ट्रीय कृषि जैव विविधता कांग्रेस को संबोधित करते हुए मोदी ने अनुसंधान और आनुवांशिक संसाधनों के उचित प्रबंधन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जेनेटिक संसाधनों के लिए अस्तित्व का संकट और बढ़ेगा। एेसे में जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, निजी निकायों के संसाधनों को ‘एकजुट’ करने और दुनियाभर के वैज्ञानिक विशेषज्ञों के बीच विचारों को साझा करने की जरूरत होगी।   

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दुनियाभर में करोड़ों लोग भुखमरी, कुपोषण और गरीबी से संघर्ष कर रहे हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी बेहद महत्वपूर्ण है। इनका समाधान ढूंढते समय हमें जैव विविधता के संरक्षण तथा सतत विकास को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि कृषि में प्रौद्योगिकी के नकारात्मक प्रभाव का आकलन करने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने उदाहरण देेते हुए कहा कि कीटनाशकों के इस्तेमाल से मधुमक्खियों के माध्यम से परागण प्रक्रिया प्रभावित होती है। उन्होंने इसी संदर्भ में विनोदपूर्ण ढंग से कहा कि प्रौद्योगिकी की नकारात्मक असर यह है कि मोबाइल फोन आने के बाद आज लोगों को अपने टैलीफोन नंबर भी याद नहीं रहते।   

कृषि पारिस्थिति तंत्र में कीटनाशकों को एक प्रमुख चिंता बताते हुए मोदी ने कहा, ‘‘कीटनाशक के इस्तेमाल से न केवल प्रकोप मचाने वाले कीट मरते हैं, बल्कि एेसे कीट भी समाप्त हो जाते हैं तो समूचे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जरूरी हैं। एेसे में विज्ञान के आडिट विकास की जरूरत है। आडिट के अभाव में दुनिया को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।’’ इसके अलावा प्रधानमंत्री ने गरीबी, कुपोषण और भुखमरी का वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के जरिए समाधान ढूंढने के प्रयासों के बीच स्वस्थ तरीके से विकास और जैव विविधता संरक्षण के मुद्दों की अनदेखी करने के नुकसान के प्रति भी आगाह किया। 

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