पैट्रोल-डीजल होगा महंगा, ओपेक ने लिया कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला

Edited By Yaspal,Updated: 21 May, 2019 05:50 PM

petrol diesel will be expensive opec decides to cut production of crude oil

एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक केन्द्र में एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने जा रही है लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पैट्रोल-डीजल के दाम को काबू करने की हो....

नई दिल्ली: एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक केन्द्र में एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने जा रही है लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पैट्रोल-डीजल के दाम को काबू करने की होगी। 

इसकी मुख्य वजह है कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पैट्रोलियम एक्सपोॄटग कंट्रीज (ओपेक) ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला किया है जो अगले साल जनवरी से लागू होगा। ओपेक तेल के भंडार को भी कम करना चाहते हैं। इसका सीधा असर कच्चे तेल के दाम पर देखने को मिला। सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 73 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई। अगर खाड़ी देशों में तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम में उछाल आता है तो इससे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार और सुस्त पड़ सकती है।

अमरीका ने भी तेल उत्पादन के लिए ड्रिलिंग प्रक्रिया को किया धीमा सरी तरफ अमरीका ने भी तेल उत्पादन के लिए ड्रिलिंग प्रक्रिया को धीमा कर दिया है। ऐसे में कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय भाव में बढ़ौतरी का रुख जारी रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेल में तेजी से रुपए पर भी असर पड़ेगा। रुपए के कमजोर होने की आशंका लगातार प्रबल होती जाएगी और व्यापार घाटे पर भी प्रतिकूल असर होगा। आयात बिल में सबसे अधिक योगदान पैट्रोलियम पदार्थों का होता है और अप्रैल माह में व्यापार घाटा 10 प्रतिशत से अधिक रहा जबकि निर्यात में 0.5 से भी कम की बढ़ौतरी रही।

दोनों ईंधनों में रोजाना हो सकती है बढ़ौतरी पैट्रोलियम कम्पनियों के अधिकारियों के मुताबिक भारत के पास 15-20 दिनों के लिए तेल का रिजर्व होता है और कच्चे तेल की कीमतों के मुताबिक ही रोजाना स्तर पर तेल की खुदरा कीमत तय की जाती है। ऐसे में पैट्रोल-डीजल के खुदरा दाम में एक बार फिर से रोजाना स्तर पर बढ़ौतरी देखने को मिल सकती है। ओपेक के साथ रूस एवं अन्य पैट्रोलियम उत्पादक देशों जिसे ओपेक प्लस के नाम से जाना जाता है, ने आगामी जनवरी से तेल के उत्पादन में रोजाना स्तर पर 12 लाख बैरल की कटौती का फैसला किया है ताकि वे अपने तेल के स्टॉक को खत्म कर सकें और तेल की कमजोर होती कीमतों में मजबूती ला सकें। इस साल की दूसरी छमाही से वे अपनी इस योजना को अंजाम देने के लिए धीरे-धीरे अपने स्टॉक को घटाना शुरू कर देंगे।
 

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