Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 May, 2021 02:28 PM
कर्ज बोझ तले दबी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल मुंबई की रियल्टी कंपनी सुरक्षा समूह ने वित्तीय कर्जदाताओं को एक चिट्ठी लिखकर बोली जमा करने की समयसीमा बढ़ाने पर आपत्ति जताई है। सुरक्षा समूह और
नई दिल्लीः कर्ज बोझ तले दबी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल मुंबई की रियल्टी कंपनी सुरक्षा समूह ने वित्तीय कर्जदाताओं को एक चिट्ठी लिखकर बोली जमा करने की समयसीमा बढ़ाने पर आपत्ति जताई है। सुरक्षा समूह और सरकारी कंपनी एनबीसीसी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही जेआईएल का अधिग्रहण करने और करीब 20,000 लंबित फ्लैट का निर्माण पूरा करने की दौड़ में हैं।
जेआईएल के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन और उधारदाताओं की समिति (सीओसी) के सदस्यों को लिखी चिट्ठी में सुरक्षा समूह ने कहा कि विस्तार दिया जाना जेपी समूह की इस कंपनी के लंबित दिवाला मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय के इस साल मार्च में दिए गए आदेश की भावना के खिलाफ है। गत 15 मई को हुई सीओसी की आखिरी बैठक में वित्तीय उधारदाताओं ने एनबीसीसी और सुरक्षा समूह की नवीनतम बोलियों को लेकर चर्चा की। वित्तीय उधारदाताओं में बैंक और घर खरीददारों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार आईआरपी ने दोनों पक्षों से सोमवार, 17 मई तक बोलियां जमा करने को कहा था और साथ ही इस बात का उल्लेख किया था कि कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा लेकिन आईआरपी ने समयसीमा में एक और दिन का विस्तार कर उसे 18 मई कर दिया। सुरक्षा समूह ने अपने पत्र में कहा कि यह विस्तार उच्चतम न्यायालय के इस साल 24 मार्च को दिए गए निर्देश की भावना के खिलाफ है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में केवल एनबीसीसी और सुरक्षा समूह से बोलियां लेने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि दिवाला प्रक्रिया को 45 दिन में पूरा किया जाए जो कि 8 मई को समाप्त हो गए। इस दौरान आईआरपी ने नए खरीदार की खोज के लिए समयसीमा बढ़ाने के लिए आवेदन किया। सुरक्षा समूह ने पत्र में कहा कि उसने बोली प्रक्रिया के मौजूदा चौथे दौर में कभी भी समय बढ़ाने की मांग नहीं की है और हर समय समयसीमा का पालन किया है। सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा ने विस्तार दिए जाने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया और कहा कि 18 मई के बाद अब कोई विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए।