Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Dec, 2020 01:07 PM
उच्चतम न्यायालय ने अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ टाटा संस प्राइवेट लि. और साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. दोनों की याचिकाओं पर अपना फैसला बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण
बिजनेस डेस्कः उच्चतम न्यायालय ने अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ टाटा संस प्राइवेट लि. और साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. दोनों की याचिकाओं पर अपना फैसला बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को 100 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायाधीश ए एस बोपन्ना और न्यायाधीश वी रामासुब्रमणियम की पीठ ने दोनों पक्षों से विषय वर्गीकरण ब्योरा के साथ लिखित में निवेदन देने को कहा। वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए हुई सुनवाई के दौरान शपूरजी पलोनजी (एस पी) समूह ने दावा किया कि अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री को हटाए जाने में कंपनी कामकाज के नियमों और गठन उद्देश्य तथा कंपनी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
टाटा ने आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि मिस्त्री को हटाए जाने के मामले में कुछ भी गड़बड़ी नहीं हुई और जो भी कदम उठाए गए, वह उसके अधिकारों के अंतर्गत आते थे। शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को टाटा समूह को राहत देते हुए एनसीएलएटी के पिछले साल 18 दिसंबर के आदेश पर रोक लगा दी थी। आदेश में मिस्त्री को टाटा समूह का कार्यकारी चेयरमैन बहाल किए जाने को कहा गया था।
मिस्त्री ने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का स्थान लिया था लेकिन चार साल बाद 24 अक्टूबर, 2016 को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। न्यायालय ने अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के चुनौती देने वाली साइरस मिस्त्री की अपील (क्रॉस अपील) पर 29 मई को टाटा संस और अन्य को नोटिस जारी किया था। मिस्त्री की अपील के अनुसार वह कंपनी में अपने परिवार की हिस्सेदारी के बराबर प्रतिनिधित्व चाहते हैं। उनके परिवार की टाटा समूह में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है।