पंडित ने रचा नया इतिहास, खून से लिखी 186 पन्नों की गीता और 369 पन्नों की कुरान

Edited By Updated: 14 Sep, 2017 12:18 PM

186 pages of gita and 369 pages of koran written by blood

हरियाणा के रोहतक के गांव निदाना निवासी पंडित कर्मवीर कौशिक ने अपने खून से पवित्र ग्रंथ गीता और कुरान लिखकर नया इतिहास रचा है।

श्री माछीवाड़ा साहिब (टक्कर): हरियाणा के रोहतक के गांव निदाना निवासी पंडित कर्मवीर कौशिक ने अपने खून से पवित्र ग्रंथ गीता और कुरान लिखकर नया इतिहास रचा है। माछीवाड़ा की ऐतिहासिक धरती पर स्थानीय एतिहासिक व प्राचीन श्री शिवाला ब्रह्मचारी मंदिर के दर्शन करने पहुंचे पंडित कर्मवीर कौशिक ने दावा किया कि उन्होंने 186 पन्नों के ग्रंथ गीता और 369 पन्नों के कुरान को अपने खून से लिखा। पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कौशिक ने बताया कि पेशे से बेशक वह ज्योतिषी हैं। उन्होंने वर्ष 2005 से गीता को अपने खून से लिखनी शुरू की और 186 पन्ने 536 लाइनें लिखने के लिए उनको 3 साल लगे। 

 

उन्होंने बताया कि गीता के सभी श्लोक अपने उंगली पर सुई मारकर उसमें से निकला खून पीपल के पत्ते पर रखकर मोरपंख से लिखे। एक दिन में वह 3 से 4 बार ही अपने हाथों में से खून निकालते थे। कौशिक ने बताया कि गीता ग्रंथ धर्म में भेदभाव नहीं सिखाता, इस लगन के अंतर्गत ही उन्होंने 7 सालों में कुरान के 369 पन्ने लिखे। उन्होंने कहा कि गीता भगवान श्री कृष्ण का ज्ञान है और उनका उद्देश्य है कि लोग अपने घरों में इस ग्रंथ को स्थापित करें। उन्होंने बताया कि धर्म के प्रचार के लिए वह उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं और अब उनको पता लगा था कि ऐतिहासिक शहर माछीवाड़ा में पांडवों से सबंधित प्राचीन और एतिहासिक मंदिर है, जिसके दर्शनों के लिए वह यहां आए हैं। 

 

राष्ट्रीय पांडुलिपी मिशन का दावा, विश्व में ऐसा दूसरा ग्रंथ नहीं :राष्ट्रीय पांडुलिपी मिशन कुरुक्षेत्र के प्रो. सुरिंदर मोहन मिश्रा ने 25 फरवरी 2015 को पंडित कर्मवीर कौशिक को प्रशंसा पत्र देते कहा कि कर्मवीर ने अपने खून से गीता के यह श्लोक लिखे हैं और ऐसा ग्रंथ विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलता। उन्होंने दावा किया कि ऐसा कोई भी ग्रंथ या किताब कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी। अपने खून से गं्रथ गीता और कुरान लिखने वाले पंडित कर्मवीर कौशिक को हरियाणा सरकार के एम.पी. आदित्यनाथ, शंकराचार्य माधवा शर्मा, चांदनाथ समेत अन्य कई धार्मिक नेताओं की तरफ से भी सम्मानित किया जा चुका है परन्तु उनकी तरफ से अभी तक गिनीज बुक में अपनी प्राप्ति दर्ज करवाने के लिए विनती पत्र नहीं दिया गया।

 

वित्तीय हालत रूकावट बने:कौशिक ने कहा कि वह गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हैं और उनका उद्देश्य हिंदू धर्म का अधिक से अधिक प्रचार करना है, इसलिए उन्होंने अपने खून से यह ग्रंथ लिखा जिससे आने वाली पीढिय़ां इनसे प्रेरणा ले सकें। वह हिंदू धर्म के प्रचार के लिए ओर बहुत कुछ करना चाहते हैं परन्तु घर की कमजोर वित्तीय हालत काफी रुकावटों खड़ी करती है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से कोई पैसों की मांग नहीं करते और न ही किसी आश्रम या डेरे के लिए जमीन मांगते हैं परन्तु वह चाहते हैं कि खून से लिखे ग्रंथ गीता को विशेष ढंग से स्थापित किया जाए। कौशिक ने बताया कि श्रीमद्भागवत गीता से अधिक कर कोई ज्ञान नहीं क्योंकि यह ग्रंथ जन कल्याण, आपसी भाईचारे, एकता और अखंडता का संदेश देता है। 


 

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