Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Aug, 2017 07:53 PM
महिलाओं की सुरक्षा हमारे लिए सबसे जरूरी है। इसके लिए दिन के चौबीसों घंटे वूमैन हैल्पलाइन नंबर-1091 चलाई जा रही है।
चंडीगढ़ (विजय) : ‘महिलाओं की सुरक्षा हमारे लिए सबसे जरूरी है। इसके लिए दिन के चौबीसों घंटे वूमैन हैल्पलाइन नंबर-1091 चलाई जा रही है। रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक महिलाओं के लिए विशेष पिक एंड ड्रॉप की सुविधा भी दी जा रही है। रात के समय लेडी पुलिस के साथ एक पी.सी.आर. व्हीकल रात के समय मौजूद रहती है।’ मंगलवार सुबह जब पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर परेड ग्राऊंड सैक्टर-17 में शहर में महिलाओं की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे कर रहे थे तो आयोजन स्थल से महज एक किलोमीटर की दूरी पर कुछ घंटे पहले एक 12 साल की मासूम बच्ची का रेप किया जा रहा था। इससे पता चलता है कि चंडीगढ़ में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं। बदनौर केवल एक साल के दौरान प्रशासन की उपलब्धियों को ही गिनाते रहे। बदनौर ने कहा कि शहर में लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस की है। यही वजह है कि यू.टी. पुलिस शहर के लोगों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। मगर शहर के सबसे हाई सिक्योरिटी वाले एरिया में इस तरह की वारदात ने पूरे शहर की सुरक्षा व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है।
वर्णिका कुंडू ने पोस्ट किया ‘नो कंट्री फॉर वूमैन’
प्रशासक ने अपने भाषण में चंडीगढ़ को सभ्य लोगों का शहर कहा लेकिन जैसे ही आठवीं कक्षा की छात्रा के रेप की खबर पूरे शहर में फैली तो वर्णिका कुंडू के एक सवाल ने पूरे दावों की पोल खोलकर रख दी। 4 अगस्त की रात चंडीगढ़ की ही सड़कों पर रेप का शिकार होने से बची वर्णिका कुंडू ने अपने फेसबुक अकाऊंट पर पोस्ट किया- ‘एक देश के तौर पर हमारी आजादी को बेशक 70 साल हो चुके हैं लेकिन जब तक इस तरह के मामले सामने आते रहेंगे, क्या हम सचमुच अपने आपको सभ्य कह सकते हैं?’ इसके साथ वर्णिका ने अपने पोस्ट के नीचे हैश टैग किया ‘नो कंट्री फॉर वूमैन।’
प्रशासक ने ये दावे भी किए
- 12 जून को चंडीगढ़ पुलिस की वूमैन एंड चाइल्ड स्पोर्ट यूनिट की ओर से 12 जून को ‘स्वयंम’ (सैल्फ डिफैंस ट्रेङ्क्षनग प्रोग्राम) शुरू किया गया है। यह प्रोग्राम पंजाब यूनिवॢसटी में चल रहा है।
- चंडीगढ़ की एंटी ह्यूमैन ट्रैफिकिंग यूनिट की ओर से जुलाई में मुस्कान-3 नाम से स्पैशल ड्राइव भी चलाई गई। इसके जरिए 21 टीमों को विभिन्न राज्यों में भेजा गया और 18 गुमशुदा बच्चों को छुड़ाया गया।