एयरपोर्ट के 100 मीटर दायरे में निर्माण तोड़ने के आदेश वापस लेने से हाईकोर्ट का इंकार

Edited By Priyanka rana,Updated: 04 Mar, 2020 11:32 AM

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चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट की सीमा के 100 मीटर दायरे में आते निर्माणों को गिराने के आदेशों पर पुर्नविचार या आदेशों को वापस लेने से कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया है।

चंडीगढ़(रमेश) : चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट की सीमा के 100 मीटर दायरे में आते निर्माणों को गिराने के आदेशों पर पुर्नविचार या आदेशों को वापस लेने से कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया है। वहीं एयरफोर्स और एयरपोर्ट अथॉरिटी ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कैट 3 के निर्माण से इंकार कर दिया है। 

अब चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट को इंटरनैशनल फ्लाइट्स फिलहाल नहीं मिल पाएंगी। कोर्ट ने कहा है कि देश की सुरक्षा से ऊपर कुछ नहीं है, इसलिए कोर्ट भी सख्त रवैया नहीं अपना सकता। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को मिलकर कोई रास्ता निकालने को कहा है। 

सुप्रीम कोर्ट ने वापस भेज दिया हाईकोर्ट :
जिन लोगों के निर्माण गिराने के आदेश हो चुके हैं, उनमें से करीब 60 लोगों ने हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने वापस हाईकोर्ट भेजकर कोर्ट में अपील दाखिल करने को कहा था।

फुल बैंच की दो टूक, नहीं बदलेंगे आदेश :
मंगलवार को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली फुल बैंच ने अपने आदेश वापस लेने से यह कहकर इंकार कर दिया कि हमारे बैंच ने ही एयरपोर्ट के 100 मीटर के दायरे में आते निर्माणों को गिराने के आदेश दिए थे। इसलिए अब वही फुल बैंच अपने ही आदेशों पर स्टे नहीं लगा सकता, न ही आदेशों में किसी प्रकार का फेरबदल संभव है। फुल बैंच ने अपने आदेश बरकरार रखते हुए याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट जाकर अपील दाखिल करने को कहा है। 

आपके पीछे कोई बड़ी ताकत खड़ी होगी पर कानून उससे भी ऊपर :
कोर्ट ने कहा कि ‘लगता है कोई बड़ी ताकत आपके पीछे खड़ी है लेकिन कानून उनसे भी ऊपर है।’ कोर्ट के आदेशों के बाद पहले चरण में डी.सी. मोहाली की ओर से 98 स्ट्रक्चर्स चिन्हित किए गए थे जिन्हें अंतिम नोटिस भेजे जा चुके हैं। 

20 लोग खुद ही निर्माण तोड़ चुके हैं, जबकि इतने ही निर्माण मोहाली प्रशसन गिरा चुका है। निर्माणों को बचाए रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 6 मार्च को होनी है। सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट की फुल बैंच की ओर से आदेशों को भेज दिया गया है।

एयरफोर्स व एयरपोर्ट अथॉरिटी का कैट-3 के निर्माण में अड़ंगा :
इंटरनैशनल एयरपोर्ट में 24 घंटे कनैक्टिविटी व इंटरनैशनल फ्लाइट्स के लिए कैट 3 के निर्माण को अनिवार्य माना गया था, जिसके निर्माण के लिए हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद केंद्र सरकार, एयरपोर्ट अथॉरिटी और एयरफोर्स ने हामी भर दी थी।

एयरपोर्ट अथॉरिटी और केंद्र के साथ कैट 3 का निर्माण करने वाली टाटा की कंपनी की नैगोसिएशन भी हो चुकी थी कुछ औपचारिकताएं और एयरफोर्स की क्लीयरैंस न मिलने के चलते निर्माण रुका था।हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एयरफोर्स और एयरपोर्ट अथॉरिटी की हाईलैवल मीटिंग हुई, जिसमें यह बात सामने आई कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर रनवे के साथ वायुसेना के कुछ ऐसे ऑब्स्ट्रेन्स (तकनीकी स्टेशन) स्थापित हैं, जिन्हें जल्दबाजी में नहीं हटाया जा सकता। 

एयरपोर्ट अथॉरिटी व एयरफोर्स की ओर से कोर्ट में एफिडैविट देकर बताया गया कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट के रनवे के निकट हाल ही में ए.टी.सी. टावर स्थापित किया गया था जहां से एयरफोर्स का डिफैंस इंस्टालेशन होती है और इसके पास ही अंडर ग्राऊंड ए.टी.एस. सिस्टम भी है जिन्हें रिमूव करना उचित नहीं होगा। 

केंद्र ने कहा, एयरफोर्स क्लीयरैंस दे तो कैट 3 लगानेे में ऐतराज नहीं :
एयरपोर्ट अथॉरिटी व केंद्र ने कोर्ट को बताया कि अगर एयरफोर्स उन्हें क्लीयरैंस दे देती है तो अथॉरिटी को कैट 3 लगाने में कोई ऐतराज नहीं है जिसका खर्च भी वह उठाने को तैयार है। 

केंद्र के अधिवक्ता चेतन मित्तल के अनुसार कैट 3 के निर्माण संबंधी क्लीयरैंस के लिए एक एजैंसी को हायर किया गया था जिसने फिजिबिलिटी क्लीयर करने के लिए एयरफोर्स के ऑब्सट्रेक्शन हटाने को कहा था जिस पर एयरफोर्स ने आपत्ति जताई है कि जल्दबाजी में ऑब्सट्रेक्शन हटाना राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं होगा। 

तो पहले हामी क्यों भरी थी? 
कोर्ट का कहना था कि राष्ट्रीय व जनता दोनों के इंटरस्ट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए सभी स्टेक होल्डर्स को इस संबंध में मिलकर कोई रास्ता निकालने को कहा गया है। कोर्ट ने सवाल किया कि अगर फिजिबिलिटी संभव नहीं थी तो पहले केंद्र एयरपोर्ट अथॉरिटी व एयरफोर्स ने कैट 3 के लिए हामी क्यों भरी थी। 

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